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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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फेसबुक बना आदिवासियो के जुड़ने का माध्यम

बडवानी (म.प्र.)। फेसबुक के माध्यम से करीब बीस हजार आदिवासी युवा एक दूसरे से जुड़कर कर अपनी कला संस्कृति गतिविधियाँ व समस्याओं को साझा कर रहे हैं।

देशभर में फैले आदिवासी युवाओं ने फेसबुक के माध्यम से संपर्क किया और पिछले दिनों बडवानी जिला मुख्यालय (म.प्र.) पर सम्मलेन किया। यहाँ उन्होने अपनी संस्कृति सभ्यता और समस्याओं के बारे में चर्चा की और अपने कथित पिछडेपन के लिए जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया।     

बडवानी के कृषि उपज मंडी परिसर में गुरुवार को “फेसबुक आदिवासी युवा मिलन समारोह” . आयोजित किया गया। इसे संबोधित करते हुए कालीकट से आए इंजीनियर धीरज राउल ने कहा कि आदिवासी जनप्रतिनिधि अपने राजनैतिक दलों के एजेंडे पर कार्य करते है। इसलिए संसद या विधान सभा में वे आदिवासियों की समस्याओं से जुडे मुद्दे नही उठाते। इसी वजह से वह पिछडेपन का शिकार है। सूरत के सुरेश वालेकर ने भी आदिवासियों के पिछडेपन के लिए राजनीतिज्ञों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अधिकांश सांसद या विधायक चुनाव जीतने के उपरान्त जनता से दूर हो जाते है।

कालीकट के ही केमिकल इंजीनियर दिनेश वास्कले ने कहा कि सरकार का कक्षा 8 तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का निर्णय आदिवासी बच्चों की नींव कमजोर कर रहा है। साथ ही अच्छी छात्रवृत्ति की कमी और उचित मार्गर्दशन के अभाव में वे प्रतियोगी परीक्षाओं में नही टिक पा रहे है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की कमियों के बारे में स्थानीय आदिवासी ही बेहतर निदान सुझा सकते है। आयोजन समिति के विक्रम अछालिया व चेतन पटेल ने बताया कि फेसबुक के माध्यम से करीब बीस हजार आदिवासी युवा एक दूसरे से जुडकर अपनी कला संस्कृति गतिविधियाँ व समस्याओं को साझा करते है। इसी तारतम्य में एक दूसरे को प्रत्यक्ष रूप से मिलाने व आदिवासी समाज के बहुआयामी उत्थान के लिए यह सम्मलेन आयोजित किया गया।

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सम्पादक

डॉ. लीना