Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

आईआईएमसी के संशोधित लोगो का लोकार्पण

'आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वत:' होगी संस्थान की टैगलाइन

नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के संशोधित लोगो का लोकार्पण संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर अपर महानिदेशक श्री आशीष गोयल, प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वीरेंद्र कुमार भारती, डीन (छात्र कल्याण) प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार एवं पुस्तकालय प्रभारी डॉ. प्रतिभा शर्मा सहित अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

संशोधित लोगो का अनावरण करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आईआईएमसी का लोगो वर्ष 1966 में डिजाइन किया गया था, लेकिन अभी तक उसमें टैगलाइन और संस्थान का नाम शामिल नहीं था। इस कारण आईआईएसमी के संशोधित लोगो को डिजाइन किया गया। संशोधित लोगो में आईआईएमसी के नाम के साथ 'आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वत:' टैगलाइन को जोड़ा गया है, जिसका अर्थ है 'हमें सब ओर से कल्याणकारी विचार प्राप्त हों'।

प्रो. द्विवेदी के अनुसार अच्छे विचारों को ग्रहण करण और समाज में उनका प्रसार करना किसी भी जनसंचार शिक्षण संस्थान का मूल काम है। उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में आयोजित आईआईएमसी कार्यकारी परिषद की 145वीं बैठक में इस संशोधित लोगो को मंजूरी प्रदान की गई।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि जनसंचार के शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसांधान में आईआईएमसी की वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान है। इस संशोधित लोगो के माध्यम से हम संस्थान की पहचान को और अधिक व्यापक बनाना चाहते हैं। हमें विश्वास है कि यह पहल आईआईएमसी के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। इस अवसर पर लोगो के सही उपयोग के लिए एक दिशानिर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना