Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

आखिर क्यों फर्जी होने का ठप्पा वेब पत्रकारिता पर

डब्ल्यू जे ए आई के फेसबुक पेज पर लाइव के दौरान मीडियामोरचा की संपादक डॉ लीना ने इस विषय पर की चर्चा

आज भी वेब पत्रकारिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती या संकट कहे तो वह उसकी विश्वसनीयता का संकट ही है। आज यह न्यू मीडिया जबकि तीन दशक बीतने के बाद न्यू भी नहीं रह गया है, इसके बावजूद इसको खुद को बार-बार सही साबित करना पड़ता है. बार-बार इसके ऊपर फर्जी होने का आरोप लगाया जाता है और इसे खारिज किया जाता है। आखिरकार क्यों फर्जी होने का ठप्पा वेब पत्रकारिता पर लगता है?  वेब जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यू जे ए आई) के फेसबुक पेज से आज लाइव के दौरान मीडियामोरचा की संपादक डॉ लीना ने इस विषय पर खुलकर चर्चा की।

डॉ लीना ने कहा कि इसकी वजह है कि प्रिंट मीडिया को इससे खतरा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इससे खतरा है, खासकर यूट्यूब चैनल आ जाने के बाद। यही नहीं आज सरकार भी गाहे-बगाहे इस की खबरों को पर फर्जी होने का मोहर लगाती रहती है। जब वह देखती है कि खबर उसके अनुकूल नहीं है या उसकी बदनामी हो रही है।  वैसे रोचक तथ्य यह है कि सरकार वेब को मान्यता भले एक रत्ती ना दे, लेकिन उस पर नजर सोलह आने रखती है।  इसके अलावा वेब पत्रकारिता पर फर्जी होने का ठप्पा लगने में सोशल मीडिया ने भी अपनी भूमिका खूब निभाई है। लोगों में या फिर पत्रकारिता से जुड़े कुछ लोगों में भी सोशल मीडिया को भी वेब मीडिया मान लेते हैं, उन दोनों को एक ही समझ लेते हैं. सोशल मीडिया यानी फेसबुक- टि्वटर आदि इस पर कुछ भी चल सकता है, व्यक्ति आमतौर पर कुछ भी डालते हैं।  वह सही हो सकती है, सूचना भी हो सकती है, वह गलत भी हो सकती है या पुरानी चीजें भी हो सकती है, पुरानी चीजों को नए तरीके से ही वहां पर पेश किया जाता है। ऐसे में बाद में पता चलता है लोगों को कि अरे यह तो गलत या भ्रामक है।  ऐसे में वेब पत्रकारिता को भी इसी वजह से लोग गलत समझ लेते हैं।

ऐसा नहीं है कि प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया फर्जी या भ्रामक खबरें नहीं दिखाता है। नोटबंदी के दौरान नैनो चिप वाली नोट आने की खबर अभी तक लोकप्रिय है। सभी जानते हैं यह गलत है। इसके बावजूद कभी चैनल ने इस खबर का खंडन नहीं किया और ना ही सफाई दी।  लेकिन चैनल पर फर्जी होने का ठप्पा नहीं लगता है।  उसे सिरे से खारिज नहीं किया जाता है। वही अगर किसी वेब पोर्टल ने गलती से भी कुछ गलत खबर या भ्रामक खबर चला दी तो उसे सिरे से खारिज करने की कोशिश की जाती है।  

वेब पत्रकारिता क्या करें ? कोशिश यह होनी चाहिए कि वह अगर सही है तो अपने स्टैंड पर कायम रहे और अगर उसे किसी ने गलत कहा है तो उस खबर को बार-बार रिपीट करें खुद को सही साबित करने के लिए। वेब पत्रकारिता को खुद को साबित करने के लिए लगातार कोशिश करनी पड़ेगी।  उसे अपने स्टैंड पर कायम रहना पड़ेगा और अगर कहीं वह गलत है तो उसे इसके लिए माफी भी मांगी चाहिए और सही खबर भी बाद में दिखानी चाहिए इससे उसकी विश्वसनीयता बढ़ेगी।

डब्ल्यू जे ए आई के फेसबुक पेज से रोजाना वेब पत्रकारिता से जुड़े मुद्दों, विभिन्न विषयों पर वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा लाइव किया जाता है।  आने वाले दिनों में भी यह जारी रहेगा। इसका लाभ उठाया जा सकता है।  डब्ल्यू जे ए आई के फेसबुक पेज का लिंक है- https://www.facebook.com/Web-Journalists-Association-of-India-409551886485146/

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना