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उर्दू फिक्शन के 100 वर्ष पूरे

बिहार उर्दू अकादमी, पटना में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार पर देश भर से आए उर्दू भाषा के जानकारों  का हुआ जुटान

साकिब ज़िया / टना : भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्, नई दिल्ली और बिहार उर्दू अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में "उर्दू फिक्शन  के 100 वर्ष, तहकीक और तनकीद"  विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का उद्घाटन प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ. अब्दुल गफूर ने किया।

कार्यक्रम में सूचना जनसंपर्क विभाग के पूर्व निदेशक शफी मशहदी, राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् के निदेशक प्रो. इरतेज़ा करीम, मौलाना मज़हरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एजाज़ अली अरशद, जम्मू-कश्मीर के प्रो. कुदूस जावेद और बिहार उर्दू अकादमी के सचिव मुश्ताक अहमद नूरी सहित देश भर से आए उर्दू भाषा के जानकारों ने भाग लिया।

दो दिवसीय सेमिनार के दौरान वक्ताओं ने फिक्शन की बारीकियों पर खास रौशनी डाली।  देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये उर्दू के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने अपने-अपने अफसाने और मकाले पेश किए और उर्दू फिक्शन के सौ सालों के सफर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी को लोगों के समक्ष पेश किया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. अबू कलाम कासमी ने अपनी लेखनी की प्रस्तुति से लोगों को लाजवाब कर दिया।

सेमिनार में शामिल होने आए जानकारों ने उर्दू प्रेमियों के लिए अफसाने पर तब्सेरा किया। आयोजन के दौरान विद्वानों ने आलेख पाठ के जरिये अफसाना निगारी के सफर और अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की।कार्यक्रम में भाग लेने आए विशेषज्ञों ने बिहार और उर्दू भाषा के बीच के संबंध और महत्व पर प्रकाश डाला । सेमिनार के दौरान बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, भाषा प्रेमी और शहर के विभिन्न कॉलेजों के शिक्षकों  सहित छात्र-छात्राओं ने भी भाग लिया।

देश भर के उर्दू के साहित्यकारों और रचनाकारों को अपने बीच पाकर राजधानी वासी सहित छात्रों में खासा उत्साह दिखा।     

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सम्पादक

डॉ. लीना