अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में लोगों ने साझा किए विचार
साकिब ज़िया /पटना :इन्टरनेट ने इस दुनिया की मीलों की दूरी को एक क्लिक पर लाकर समेट दिया है। आज भारत में भी इन्टरनेट ने डेस्कटॉप, लैपटॉप, पामटॉप, टैब्लेट और स्मार्ट फोन तक का सफर बहुत ही कम समय में तय कर लिया है।केंद्र सरकार भी भारत में इन्टरनेट के विस्तार के लिए अनेक योजनाएं चला रही है।इसी कड़ी में राजधानी पटना में "उर्दू भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार में इन्टरनेट का रोल" विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
बिहार उर्दू यूथ फोरम संस्थान की ओर से बिहार उर्दू अकादमी भवन में आयोजित महत्वपूर्ण सेमिनार में प्रदेश और देश के साथ- साथ कनाडा, जापान और पाकिस्तान के पत्रकारों और साहित्यकारों ने भी अपने-अपने विचार साझा किए । सेमिनार में उर्दू भाषा के चिंतक और रचनाकार खुर्शीद इकबाल ने कहा कि उर्दू टाइपिंग में अहमद मिर्जा जमील का अभूतपूर्व योगदान है जिन्होंने सबसे पहले नूरी नामक फौंट बनाया। इससे उर्दू भाषा में काम करने वालों को काफी सहूलियत होने लगी। इसके बाद वक्त के साथ-साथ लोगों ने नूरी फौंट में बहुत से जरूरी बदलाव करते हुए सिलसिले को बरकरार रखा। आजकल हम उर्दू अखबारों और पत्रिकाओं में इनपेज का इस्तेमाल बखूबी देखते हैं जो नूरी फौंट का ही मौजूदा स्वरूप है।
सेमिनार में उर्दू दैनिक इंकलाब के संपादक अहमद जावेद ने कहा कि पत्रकारिता की रफ्तार को इन्टरनेट ने तेज गति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि आज हम जिस इनपेज का इस्तेमाल किया करते हैं उसमें दो खामी है। एक यह कि उर्दू भाषा से संबंधित पठन-पाठन सामग्रियों को गूगल जैसे बड़े वेबसाइट पर सर्च नहीं कर पाते और अगर सर्च हो भी जाता है तो पढ़ने के लिए इनपेज फौंट का होना जरूरी होता है इसलिए इस समस्या का समाधान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा का भविष्य और बेहतर बनाने एवं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसको पहुंचाने के लिए इन्टरनेट का विस्तार किया जाना जरूरी है।
कनाडा की पत्रकार और साहित्यकार आबिदा रहमान ने वहां से प्रसारित संदेश में कहा कि ईमेल ने मीलों की दूरी को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज ज़्यादातर उर्दू अखबारों और पत्रिकाओं का अपना वेबसाइट है जिससे कोई भी इन्हें आसानी से पढ़ सकता है। जापान के नासिर नाकागावा ने अपने संदेश में कहा कि उर्दू जैसी मशहूर ज़बान की तरक्की के लिए इन्टरनेट एक बेहतरीन ज़रिया बन कर सामने आया है। पाकिस्तान की पत्रकार और लेखक सबा नाज़ ने भी अपने संदेश में उर्दू भाषा और इन्टरनेट के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला। इससे पूर्व बिहार उर्दू अकादमी के सचिव मुश्ताक अहमद नूरी, पूर्व विधान पार्षद तनवीर हसन, कौमी तंज़ीम के संपादक अशरफ फरीद, बिहार उर्दू यूथ फोरम के अध्यक्ष जावेद महमूद, मोनाज़िर आशिक हरगानवी, शाहिद जमील और कासिम खुर्शीद ने दीप जलाकर सेमिनार का शुभारंभ किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार और उर्दू प्रेमी मौजूद रहे।
मीडियामोरचा के लिए ब्यूरो प्रमुख है साकिब ज़िया