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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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कमाल तो 'कमाल' थे

वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान का शुक्रवार, 14 जनवरी की सुबह निधन हो गया. एनडीटीवी की पत्रकारिता से पिछले तीन दशकों से जुड़े कमाल खान के जाने से पूरा पत्रकारिता जगत शोक में है. वो पिछले 30 सालों से एनडीटीवी से जुड़े हुए थे और अपनी विशिष्ट पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे. वो चैनल के लखनऊ ब्यूरो के हेड थे. अभी गुरुवार को ही चैनल पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर उनकी रिपोर्टिंग देखी गई थी. शुक्रवार की सुबह उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया. तीन दशकों में उन्होंने राजनीति के कई दौर देखे और दर्शकों को अपनी राजनीतिक आंखों से घटनाओं का साक्षी बनाया। उन्हें समाज को अपने अनूठे ढंग से समझने-समझाने वाले और विशिष्‍ट और विश्‍वसनीय आवाजों में से एक पत्रकार माना जाता है.

61 साल के कमाल खान के परिवार में उनकी पत्नी रुचि और बेटा अमन हैं. 

कमाल खान के निधन पर पत्रकारों, नेताओं, आम दर्शकों ने शोक जताया है, उनके बारे में लिखा है। बीबीसी से जुड़ी सीटू की टिप्पणी, उनके फेसबुक वाल से-

सीटू तिवारी/ उनका जाना टीवी की एक बहुत संतुलित और मारक आवाज़ का जाना है।

किसी भी धर्म से जुड़े क्लिष्ट विषय को बहुत न्यूट्रल हो कर रख देते थे, मानवीय स्टोरीज की तह में बस जाते थे और पॉलिटिकल स्टोरी में राजनीति की सड़ान्ध को बिना किसी नाटकीय हाव भाव के सामने ला देते थे। एक भी शब्द, वाक्य फलतू नही। PTC में उनकी टाइमिंग, फ्रेम, शब्द आपको लंबे वक्त तक अपने मोह में जकड़े रखते थे। आप उसमे डूबते उतारते और वाह - आह करते रहिएगा।

उनके live देखे तो पहली ही नज़र मे लगता था कि ये रिपोर्टर , अपने दर्शकों के लिये तस्सली से वक्त लिए बैठा है। उसमे आजकल के रिपोर्टर्स की तरह सब कुछ 'उगल' देने की जल्दबाजी नहीं थी बल्कि अपने दर्शकों से टीवी पर पहली  अपीरिएन्स के साथ एक राब्ता बना लेना है। बिल्कुल शांत चेहरा, पुराने हीरो जैसे बालों और एकदम सलीके से ड्रेस अप हुए कमाल किसी भी मसले के बैकग्राउंड को सबसे ज्यादा अहमियत देते थे।

तुलसी की चौपाई, रसखान, कबीर, कुरान की आयतों, शायरी का उल्लेख/इस्तेमाल जिस तरीके से वो अपनी रिपोर्ट में करते थे, वो दुर्लभ है।

राम पर रिपोर्ट जो उन्होंने की, वो आखिर मुख्यधारा मीडिया में कौन कर पाया? हलाला (तलाक देकर उसी औरत से शादी कराने के लिये उस महिला की दूसरे से शादी कराना) पर रिपोर्ट मुख्यधारा मीडिया में कौन कर पाया?

जब 19 साल के थे, अपने शहर लखनऊ रहते थे और कमाल खान को सुनते थे तो इस जिक्र से भी रोमांचित हो जाते थे कि उन्होंने एक हिन्दू पत्रकार से शादी की। ऐसा लगता था ये आदमी जैसा टीवीपर दिखता है वैसा ही प्रगतिशील अपने जीवन में भी है। वो किसी धर्म से ऊपर मनुष्य के ज्यादा करीब लगते थे।

हमारे लखनऊ की गंगा जमुनी संस्कृति का एक सितारा चला गया। आपको विदा कहने का मन नही होता।

 

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सम्पादक

डॉ. लीना