एमसीयू के जनसंचार विभाग में ‘सफल कैसे बनें’ विषय पर व्याख्यान
भोपाल। आपकी सोच और घटनाओं को देखने का नजरिया आपको सफल बनाता है। आप कल्पना करिए कि आप जीत रहे हैं, सफल हो रहे हैं। तय मानिए आप जीत जाएंगे। दुनिया में कोई भी कभी हारता नहीं है। सिर्फ जीत का प्रतिशत कम या ज्यादा होता है। यह विचार प्रख्यात लेखक एवं पत्रकार रत्नेश्वर के. सिंह ने व्यक्त किए। वे बतौर मुख्य वक्ता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘सार्थक शनिवार’ में मौजूद थे। उन्होंने ‘सफल कैसे बनें’ विषय पर व्याख्यान दिया।
श्री सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में वही काम करना चाहिए, जैसी उसकी मनोवृत्ति है। सफलता निश्चित मिलेगी। बाहर की संभावनाओं का ख्याल करके आप जीवन की तैयारी करेंगे तो सफलता प्राप्त करना संदिग्ध है। उन्होंने बताया कि जीवन को सफल, सुखी और सार्थक बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में तीन लक्ष्य तय करके चलना चाहिए- व्यक्तिगत, व्यावसायिक और आध्यात्मिक।
मर्यादित होकर तोड़िए मर्यादाएं:
मीडिया लेखक श्री सिंह ने कहा कि पहले राम आए और उन्होंने मर्यादाएं स्थापित कीं। बाद में कृष्ण आए और उन्होंने स्थापित मर्यादाएं तोड़कर नई मर्यादाएं गढ़ी। लेकिन, मर्यादा तोड़ने के लिए मर्यादा को जानना और मर्यादित रहना जरूरी है। मर्यादा तोड़ना उच्छृंखलता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया में दो ही सत्य है, मृत्यु और कर्म। इसीलिए दुनिया में आए हैं तो हमें कुछ न कुछ नया रचना चाहिए।
जरूरी है समर्पण:
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने कहा कि जहां आप खड़े हैं, वहां खड़े रहना है तो रोज दौड़ना पड़ेगा। सफलता नित्य का समर्पण मांगती है। हमें अपने काम की दम पर पहचान बनानी चाहिए और दूसरों के झूठ पर भरोसा करना छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सकारात्मक चिंतन, अध्ययन और लेखन बेहद जरूरी है। आज जो कर लिया वही भविष्य का रास्ता तय करता है। कार्यक्रम का संचालन कनिष्का तिवारी और आभार प्रदर्शन अभिषेक दुबे ने किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति आकृति शर्मा ने दी। अतिथियों का स्वागत सुयश भट्ट और प्रियांक द्विवेदी ने किया। इस मौके पर जनसंचार विभाग के अतिथि प्राध्यापक पंकज कुमार, बृजेन्दु झा, लोकेन्द्र सिंह और चन्द्रमोहन गुर्जर सहित अन्य मौजूद रहे। कारगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।