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दलितों पर अत्याचार, विकास का कैसा मॉडल!

जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में ‘‘बापूजी की देवघर यात्रा’’ पुस्तक का विमोचन एवं ‘दलित संघर्ष की यात्रा’ पर परिचर्चा आयोजित

पटना। शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने कहा कि आजादी के करीब सात दशक बाद भी दलितों पर उत्पीड़न की घटना देश, समाज के लिए शर्मनाक है। उन्होंने सवाल उठाते हुये कहा कि गुजरात में दलितों की बेरहमी से पिटाई विकास का कैसा मॉडल है। डॉ चौधरी आज यहां जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में नथमल सिंहानियां द्वारा लिखित और प्रो. हेतुकर झा द्वारा संपादित पुस्तक ‘बापूजी की देवघर यात्रा’ के विमोचन के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा महात्मा गांधी ने दलितों के हितों की रक्षा के लिए 1934 में देवघर की यात्रा की। शिक्षा मंत्री ने कहा कि समाज में दलितों के प्रति संकीर्ण मानसिकता कमोबेश आज भी है। आजादी के इतने वर्षों के बाद भी विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पद खाली पड़े हैं तो मात्र इसलिए कि अभी तक रोस्टर क्लियरेंस नहीं हुआ। इसपर अब आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को सामाजिक रूप से प्रशिक्षित करने की जरूरत है।

प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. हेतुकर झा ने इस अवसर पर कहा कि ब्रिटिश के आने के बाद ब्राह्मणवाद को बढ़ावा मिला। ब्राह्मणवाद को ही हिंदूवाद मान लिया गया। उन्होंने कहा कि इस दुर्लभ पुस्तक के पुनर्प्रकाशित होने से आज इसके लेखक नथमल सिंहानियां और उनकी कृति फिर से जीवित हो गई है।

प्रसिद्ध गांधीवादी रज़ी अहमद ने अपने संस्मरण सुनाते हुये कहा कि उन्हें नथमल सिंहानियां का तीन दिन तक अतिथि बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिस गाड़ी को पंडों ने तोड़ा था, उसका चेचिस अभी भी पटना के गांधी संग्रहालय में रखा है। गांधीजी के बाद  आचार्य विनोबा भावे देवघर गये थे। पंडों की लाठियों से कान पर चोट लगने से यही वे बहरे हो गये।

विधान पार्षद डॉ. रामवचन राय ने कहा कि लोकायत परम्परा जोड़ती है, किन्तु सनातनी परम्परा तोड़ती है। ये दोनों परम्पराएं हमेशा साथ-साथ चली हैं। लोकायत परम्परा को स्थापित करने में कबीर और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का योगदान है तो अंग्रेजों ने सनातनी परम्परा को अपने हितों के लिए प्रश्रय दिया। डॉ. अभय कुमार ने कहा कि हमें समन्वयवादी विचारधारा को बढ़ावा देना होगा, तभी दलितों-वंचितों का कल्याण हो सकता है। पूर्व डीजीपी डी.एन. गौतम ने भी सभा को संबोधित किया।

इसके पहले विषय प्रवेश कराते हुये संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने विषय के औचित्य पर प्रकाश डाला।

सभा का संचालन डॉ. मनोरमा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन सुषमा कुमारी ने किया। पुस्तक के बारे में अरूण सिंह ने प्रकाश डाला। इस अवसर पर शेखर, प्रभात सरसिज, नीरज, पवन, विधानंद विकल, रेशमा, इर्शादुल हक, डॉ. वीणा सिंह, ममीत प्रकाश, राकेश, अरूण नारायण, मनमोहन पाठक समेत कई गणमान्य व्यक्ति एवं पत्रकार मौजूद थे।

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सम्पादक

डॉ. लीना