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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज़

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक चिंतक बीजी वर्गीज़ का निधन हो गया है। वे 87 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार थे। मैग्सैसे पुरस्कार से सम्मानित वर्गीज़ हिंदुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस के संपादक रहे थे। एक महीने पहले वर्गीज़ को डेंगू हुआ था और पिछले कुछ हफ़्तों से उन्हें बुखार भी था।

वर्गीज़ वर्ष 1966-69 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सूचना सलाहकार रहे।  आपातकाल के बाद कुछ साल तक वे गांधी पीस फ़ाउंडेशन के फ़ेलो रहे और साल 2001 में अल्पकाल के लिए रक्षामंत्री के सूचना सलाहकार भी बने। वर्गीज़ ने कई किताबें भी लिखीं थीं जिनमें 'डिज़ाइन फ़ॉर टुमौरो', 'वाटर्स ऑफ़ होप', 'हार्नेसिंग दि ईस्टर्न हिमालयन रिवर्स', 'विनिंग दि फ़्यूचर', 'इंडियाज़ नॉर्थ-ईस्ट रिसर्जेंट', 'रिओरिएंटिंग इंडिया एंड रेज' और 'रिकंसिलेशन ऑफ़ इंडिया' प्रमुख हैं।

वर्गीज़ अप्रैल 2002 में एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग के गुजरात मिशन के सदस्य भी थे।  वे करगिल रिव्यू कमेटी के सदस्य और करगिल रिव्यू कमेटी रिपोर्ट के सह लेखक भी थे जो संसद में रखी गई थी।

बीजी वर्गीज़ को  1975 में मैग्सैसे अवार्ड के साथ के अलावा वर्ष 2005 में असम का शंकरदेव अवार्ड, वर्ष 2013 में उपेंद्र नाथ ब्रह्म सोल्जर ऑफ़ ह्यूमेनिटी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

प्रख्यात पत्रकार बी.जी. वर्गीज के निधन पर  उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  गहरा शोक व्यक्त किया है । उन्होंने वर्गीज को भारतीय पत्रकारिता का नेतृत्व करने वाला, बहुमखी प्रतिभा का धनी बताया। अपने शोक संदेश में श्री अंसारी ने कहा कि अपने लंबे और शानदार पत्राकारिता जीवन में वर्गीज ने नागरिकों की स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के विषय में लिखा। खासकर समाज के कमजोर समझे जाने वाले तबके के बारे में। इसके अलावा ग्रामीण विकास, पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में भी वर्गीज ने लेखन कार्य किया। अंसारी ने कहा कि वर्गीज के निधन से हमने एक निडर वक्ता और एक बहुमूल्य लेखक खो दिया जिसने जनहित के मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर लिखा। वर्गीज के निधन पर शोक प्रकट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने कहा कि देश ने एक प्रतिभा संपन्न लेखक और गहरी सोंच रखने वाला चिंतक खो दिया। 

प्रख्यात पत्रकार उर्मिलेश ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुये फेसबूक पर लिखा कि वर्गीज साहब: एक महान संपादक, एक बेहतरीन इंसान थे। आजीवन अंग्रेजी पत्रकारिता में सक्रिय रहने के बावजूद वह भाषायी पत्रकारिता पर गहरी नजर रखते थे और अन्य भारतीय भाषाओं के पत्रकारों-संपादकों से उनका नियमित संवाद होता था। राज्यसभा टीवी पर प्रसारित साप्ताहिक कार्यक्रम--'मीडिया मंथन' में उन्हें जब भी मैने आमंत्रित किया, अपनी व्यस्तताओं के बावजूद वह आए और चर्चा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान किया। टाइम्स आफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेंस जैसे बड़े अखबारों के संपादक रह चुके वर्गीज साहब ने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। मैं अपनी तरफ से और 'मीडिया मंथन' टीम की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।

वही लेखक अरुण माहेश्वरी ने लिखा साहसी पत्रकार बी जी वर्गीज का देहावसान हो गया । कल शाम छ्ह बजे, गुड़गाँव स्थित अपने निवास पर उन्होंने अंतिम साँस ली । मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त वर्गीज़ का पत्रकारिता की दुनिया में एक बेहद सम्मानित स्थान था । हिंदुस्तान टाइम्स और उसके पहले इंडियन एक्सप्रेस के संपादक के रूप में उनकी भूमिका को हमेशा आदर के साथ याद किया जायेगा । वर्गीज़ 1966-1969 तक इंदिरा गांधी के सूचना सलाहकार रहे, लेकिन 1975 में जब इन्दिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया तब वे उसके सबसे मुखर विरोधी के रूप में सामने आए । 
उनके परिजनों के प्रति हम संवेदना प्रेषित करते हैं । उनकी स्मृति के प्रति हमारी आंतरिक श्रद्धांजलि ।

"मीडियामोरचा " की ओर से वरिष्ठ पत्रकार बीजी वर्गीज़ के निधन पर श्रद्धांजलि और  नमन ।  

 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना