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निजी एफएम रेडियो आकाशवाणी के समाचार ही प्रसारित कर पाएंगे

तीसरे चरण में 30 मार्च 2015 तक 839 निजी एफएम चैनल खोले जाने हैं

नयी दिल्ली। निजी एफएम चैनलों को आकाशवाणी द्वारा प्रसारित समाचार को ही पुन: प्रसारित करने की इजाजत दी जाएगी। सरकार ने निजी एफएम रेडियो चैनलों की समाचार प्रसारण की अनुमति की मांग पर आज स्पष्ट किया कि रेडियो के विस्तार के तीसरे चरण के तहत निजी एफएम चैनलों को आकाशवाणी द्वारा प्रसारित समाचार को ही पुन: प्रसारित करने की इजाजत दी जाएगी, अन्य किसी समाचार के प्रसारण की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि खेलों के प्रसारण, स्थानीय खेल आयोजनों की कमेंटरी, स्थानीय यातायात और मौसम की जानकारी,    सांस्कृतिक उत्सव, तीज- त्योहर, परीक्षा प्रवेश, करियर काउंसलिंग, रोजगार सूचनायें, बिजली पानी, प्राकृतिक आपदा, स्वास्थ्य सूचनाएं आदि अन्य नागरिक सुविधाओं से जुडी सार्वजनिक उद्घघोषणायें समाचार की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा, लिहाजा इनका प्रसारण संभव होगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। श्री जावड़ेकर ने कहा कि तीसरे चरण में 30 मार्च 2015 तक 839 निजी एफएम चैनल खोले जाने हैं। इसमें समाचार प्रसारण की अनुमति देने की मांग जोरों पर है। पर सरकार ने तय किया है कि वे आकाशवाणी की न्यूज क्लिपिंग ही प्रसारित कर पाएंगे। उन्हें अपनी आवाज में समाचार पढने की इजाजत के बारे में बाद में निर्णय लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि देश में एफ एम चैनलों की स्थापना के नियमों में सुधार कर अब देश में एक लाख की आबादी वाले 227 शहरों एवं कस्बों में 839 चैनल खोलने का मार्ग प्रशस्त किया गया।     सामुदायिक रेडियों की भूमिका से जुडे एक पूरक प्रश्न पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि सरकार निजी एफएम चैनलों की तर्ज पर सामुदायिक रेडियों को गैर समाचार श्रेणी की सूचनाओं के प्रसारण की इजाजत दी जा सकती है। जहां तक समाचार का सवाल है पहले आकाशवाणी के समाचार के प्रसारण की अनुमति होगी फिर अनुभव के आधार पर आगे कोई फैसला किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि सरकार ने रेडियों कवरेज बढाने के लिए कई कदम उठाये गए हैं। एफ एम रेडियो के क्षेत्र में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। इसी तरह सामुदायिक रेडियो को बढावा देने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया गया है। प्रत्येक सामुदायिक रेडियो स्टेशन को स्थापना के लिए पचास फीसदी मदद दी जा रही है।

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सम्पादक

डॉ. लीना