Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

पटना फिल्म महोत्सव 2016

फिल्मों की दुनिया में मनोरंजन से भी आगे कुछ है

संजय कुमार/ पटना । बिहार में जंगलराज के कथित आरोप के बीच 19 फरवरी से सात दिवसीय पटना फिल्म महोत्सव 2016 का धमाकेदार आगाज हुआ। पटना फिल्म महोत्सव 2016 ने कला-सांस्कृति का जो उदाहरण पेश किया उससे बिहार के बाहर से आये निमार्ता-निर्देशक-अभिनेत्री-अभिनेता और अन्य गणमान्य लोग गदगद होकर तारीफ करने से नहीं चूके। ‘राम सिंह चार्ली’ से पटना फिल्म महोत्सव 2016 का आगाज हुआ।

फिल्म ‘राम सिंह चार्ली’ से पटना फिल्म महोत्सव 2016 की शुरूआत ने महोत्सव की सफलता को बानये रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ‘राम सिंह चार्ली’ में सर्कस कलाकारों की जिंदगी को रेखांकित किया गया है। फिल्म का मुख्य पात्र रामसिंह एक चलतं सर्कस में काम करता है जिसने हमेशा एक कलाकार की जिंदगी को जिया है। लेकिन एक बार वह अप्रत्याशित रूप से जीवन के एक बड़े सर्कस में फंस जाता है जहां उसे एक पिता और एक कलाकार के रूप में अपनी बाजीगरी दिखानी होती है। वह जिंदगी के अपने एक महत्वपूर्ण हिस्से को उस दुनिया में खोता है। यहां उसके सपनों के लिए कोई जगह नहीं होती। निराशाओं के बीच भी वह अपनी हिम्मत नहीं खोता है।

पटना फिल्म महोत्सव 2016 के शुभारंभ के दिन आई अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने अपनी अभिनीत फिल्म ‘राम सिंह चार्ली’ से फिल्म महोत्सव की शुरुआत पर खुशी जाहिर की और कहा कि ऐसे में फिल्म समारोह में फिल्म देखने का एहसास बेहद ही खास होता है।

वहीं फिल्म के निर्देशक नितीन कक्कड़ ने कहा कि फिल्मों में क्षमता है कि वह समाज बदल सकती है। उन्होंने कहा कि जब मैं बच्चा था तो लगता था कि फिल्में सिर्फ मनोरंजन के लिए होती है लेकिन जब मुम्बई में लगने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में गया तब एहसास हुआ कि फिल्मों की दुनिया में मनोरंजन से आगे भी कुछ है।

उद्धाटन के दौरान फिल्म अभिनेता शेखर सुमन ने जननायक जयप्रकाश नारायण पर फिल्म बनाने की इच्छा जाहिर की और फिल्म की कुछ शूटिंग बिहार में भी करने की बात कहीं। ताकि बिहार के लोगों को भी फिल्म से जुड़ने और रोजगार पाने का मौका मिले। उन्होंने प्रकाश झा की आलोचना की और कहा कि श्री झा ने गंगाजल जैसी फिल्म बनाई, या अभी जो बाहुबली सीरियल आता है इसने बिहार की नकारात्मक छवि बना दी है। लेकिन हमारी सोच है कि लिट्टी चोखा खाएंगे और बिहार को आगे बढ़ाएंगे। वहीं बतौर मुख्य अतिथि राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद ने लोगों से बिहार के विकास के में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि बिहार को लेकर जो नकारात्मक धारणा है उसे तोड़ने की जरूरत है। वहीं, कला संस्कृति मंत्री शिव चंद्र राम ने कहा कि फिल्म नीति बनने के बाद जो भी फिल्म निर्माता-निर्देशक बिहार में फिल्म बनाना चाहेंगे उनकी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे यहां सेंसर बोर्ड नहीं है, सेंसर बोर्ड के गठन के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। राजगीर में 20 एकड़ जमीन पर फिल्म सिटी का निर्माण किया जाएगा।

भारत सरकार की संस्था फिल्म समारोह निदेशालय के निदेशक सी सैंथिल ने कहा कि फिल्म महोत्सवों को बढ़ावा देना निदेशालय की प्राथमिकता है। लोगों को बेहतरीन फिल्म देखने को मिले यह भी प्रयास है।

पटना फिल्म महोत्सव में हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला, मलयालम समेत विभिन्न भाषाओं की बेहतरीन 28 फिल्में दिखायी गयी। इनमें प्रमुख थे, कोंकणी फीचर फिल्म ‘कोफिन मेकर’, हिन्दी की मशहूर फिल्म ‘दो बीघा जमीन’, ‘पान सिंह तोमर’, ’मसान’, ‘गूंगा पहलवान’, डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘डैडी ग्राण्डपा एंड माय लेडी’,मराठी फिल्म ’कात्यार कालजत घुसली’, बांग्ला फिल्म ‘मेघा ढ़ाका तारा’। इटली के फिल्म महोत्सव में सम्मानित मलयालम फिल्म “ओटल” भी दिखायी गयी। वहीं, भोजपुरी फिल्मों का अभाव दिखा। पटना सिने सोसाइटी के अध्यक्ष प्रोफेसर जयमंगल देव ने बता या कि सबसे 22 फरवरी1963 को चर्चित भोजपुरी फिल्म “गंगा मइया तोहरे पियरी चढैबो” को देशभर में प्रदर्शित किया गया था। पटना फिल्म महोत्सव 2016 के दौरान  यह तिथि आयी लेकिन इस फिल्म को प्रर्दशन के लिए नहीं चुना जाना यहाँ के सिने प्रेमियों को चुभा। 

पटना फिल्म महोत्सव 2016 के दौरान जहां रोजाना फिल्में दिखायी गयी वहीं इस बार फिल्म निमार्ता-निर्देशक-अभिनेताओं से रू-ब-रू कार्यक्रम रखा गया। जहां वे लोगों के सवाल जवाब देते नजर आये। साथ ही पहली बार पटना फिल्म महोत्सव के दौरान बिहार ललित कला अकादमी की आर्ट गैलरी में हिन्दी सिनेमा सहित भारतीय सिनेमा की मशहूर फिल्मों के यादगार पोस्टरों की प्रदर्शनी लगायी गयी। इसमें पांच भाषाओं के फिल्मी पोस्टर लगाये गये।

पटना फिल्म महोत्सव का समापन चर्चित फिल्म भाई बजरंगी से हुआ। पटना फिल्म महोत्सव को राष्ट्रीय पहचान देने की पूरजोर कोशिश हुई लेकिन वही इस प्रयास में क्षे़त्रीय फिल्मों का आभाव भी रहा।  यह आयोजन पूरी तरह से सरकारी रहा। 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना