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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्र बहुत सारे, पर उर्दू पाठकों की संख्या न बढ़ना चिंताजनक

उर्दू पत्रकारिता के 200 वर्ष पूरे, ए. एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट में दो दिवसीय सेमिनार

साकिब ज़िया /पटना। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्, नई दिल्ली के तत्वावधान में पटना के ए. एन. सिन्हा इंस्टीट्यूट में "उर्दू पत्रकारिता  के 200 वर्ष" विषय पर कल से दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर वक्ताओं ने उर्दू पत्रकारिता के इतिहास और देश में स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू पत्रकारिता  की असाधारण और साहसिक भूमिका पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर परिषद् के निदेशक प्रो. इर्तजा करीम ने उर्दू पत्रकारिता के समक्ष वर्तमान चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि अब उर्दू के समाचार पत्र बड़ी संख्या में निकल रहे हैं, लेकिन उर्दू समाचार पत्रों के पाठकों की संख्या नहीं बढ रही है, यह भविष्य के लिए एक बड़ी चिंता का कारण है। इस लिए यह आवश्यक है कि इस दिशा में प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि अब सब उर्दू सीखना चाहते हैं  हम सब संकल्प लें कि हर उर्दू भाषी कम से कम एक गैर उर्दू भाषी को यह जबान सिखाए।

सेमिनार में राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद्, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने संबोधन में कहा कि उर्दू के पत्रकारिता में कार्टून की कमी दिखती है उन्होंने कहा कि कार्टून की पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान होती है। एक बेहतर कार्टूनिस्ट अपनी इस कला के माध्यम से बड़े - बड़े मुद्दों को सरलता से सरकार और पाठकों के सामने लाता है। उन्होंने कहा कि उर्दू पत्रकारिता को नई तकनीक के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है।

इस मौके पर मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय  के कुलपति प्रो. एजाज अली अरशद, पूर्व विधायक इजहार अहमद, रेयाज अजीमाबादी, खालिद रशीद सबा ने भी उर्दू पत्रकारिता  पर विशेष रौशनी डाला  और अपने तजुर्बो को साझा किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार और बुद्धिजीवियों ने भी भाग लिया।

साकिब ज़िया मीडियामोरचा के ब्यूरो प्रमुख हैं 

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सम्पादक

डॉ. लीना