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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारों को तकनीकी ज्ञान के साथ तालमेल बैठाना जरुरी: शैलेन्द्र

लेकिन तथ्यों से न करें समझौता

‘पत्रकारिता में बदलते रुझान और वर्तमान परिदृश्य – स्वरूप: टीवी न्यूज पैकेजिंग’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

मोतिहारी। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा कल ‘पत्रकारिता में बदलते रुझान और वर्तमान परिदृश्य – स्वरूप: टीवी न्यूज पैकेजिंग’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी डीडीयू परिसर के कॉन्फ्रेंस हॉल में संपन्न हुई, जिसके संरक्षक कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव थे। मुख्य वक्ता श्री शैलेंद्र कुमार, कार्यकारी संपादक, न्यूज कॉरिडोर, नई दिल्ली थे। अध्यक्षता मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने की, जबकि संचालन विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सुनील दीपक घोडके ने किया।

अध्यक्षीय और स्वागत भाषण में डॉ. अंजनी कुमार झा ने पत्रकारिता में आ रहे बदलावों और अखबार से टेलीविजन तक की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने चर्चा की कि किस प्रकार टेलीविजन में वेतन और अवसरों को लेकर नए रुझान देखने को मिल रहे हैं। आज के दौर में डिजिटल मीडिया की प्रासंगिकता की चर्चा करते हुए उन्होंने इसे सूचना की गतिशीलता और सूचना प्राप्ति के नए अवसरों के रूप में बताया।

मुख्य वक्ता शैलेन्द्र कुमार ने संबोधन में मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए टीम वर्क की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकारिता का नया स्वरूप है और टीआरपी के दबाव के कारण इसमें कई बदलाव हुए हैं। उन्होंने अखबार से टेलीविजन, टेलीविजन से डिजिटल मीडिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) यथा चैटजीपीटी जैसे नए ट्रेंड्स पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने पीटीसी (पीस टू कैमरा) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दर्शकों में भरोसा बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम है, क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि रिपोर्टर ग्राउंड ज़ीरो से काम कर रहा है।

डिजिटल मीडिया के भविष्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने गूगल के एल्गोरिदम और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) की महत्ता पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने कहा कि पत्रकारों को तकनीकी ज्ञान के साथ तालमेल बैठाना आवश्यक है, लेकिन तथ्यों से समझौता नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने एआई के युवा पीढ़ी पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी चर्चा की। डिजिटल मीडिया के विभिन्न आयामों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह आज सूचना, विचार और मनोरंजन की गतिशीलता का पर्याय है। अमेरिका के सुपर पॉवर होने का जिक्र करते हुए कहा कि जो देश सूचना के मामले में जितना ही अधिक समृद्ध हैं वह उतना ही अधिक विकसित है। डेटा भंडारण के मामले में भी यह बात लागू होती है। डिजिटल मीडिया के सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के विभिन्न प्लेटफॉर्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संचार के बदलते परिदृश्य में इनकी काफी बड़ी भूमिका है।

कार्यक्रम के संचालक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने कहा कि मीडिया के बदलते परिदृश्य में तकनीकी और प्रोफेशनलिज्म की बड़ी भूमिका है। उन्होंने विद्यार्थियों को आधुनिक मीडिया के अनुरूप तैयार होने पर बल दिया।

कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रा रुचि कुमारी, मुस्कान सिंह, अदिति कुमारी, छात्र प्रतीक कुमार और जय गुप्ता ने अपने सवाल पूछे। प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन बीजेएमसी चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा सलोनी  कुमारी ने की। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसे डॉ. मयंक भारद्वाज ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में संगोष्ठी के आयोजन समिति के सदस्य डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. साकेत रमण और डॉ. उमा यादव उपस्थित थे।

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सम्पादक

डॉ. लीना