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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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बदलते सामाजिक परिदृश्य में प्रेस की जिम्मेदारी अति महत्वपूर्ण

अरविंद उज्जवल की लिखी पुस्तक "अदालत की बातें' का विमोचन

पटना । पटना हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने विधि और अदालती मामलों से जुड़े पत्रकार अरविंद उज्जवल की पुस्तक "अदालत की बातें' का 30 जनवरी को विमोचन करते हुये कहा कि बदलते सामाजिक परिदृश्य में प्रेस की जिम्मेदारी अति  महत्वपूर्ण हो गई है। सहमति के साथ असहमत होना ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी पहचान है और ऐसे स्वस्थ माहौल के लिए प्रेस और मीडिया का स्वतन्त्र रहना अपरिहार्य है। 

उन्होंने मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेस और मीडिया का ध्यान समाज को शिक्षित करने पर ज़्यादा होना चाहिए । साथ ही सामाजिक मुद्दों को सुर्खियों में रखने के लिए अत्यधिक संवेदनशील होने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति अंसारी ने देश के आज़ाद और गणतंत्र होने को "मानवता की लंबी लड़ाई के बाद मिली जीत' की उपमा देते हुए कहा कि लोकतंत्र का मतलब किसी भी काम को कैसे भी तरीके से करने का लाइसेंस नहीं होता। उन्होंने  कहा कि यही बात प्रेस की स्वतंत्रता पर भी लागू होती है। अत्यधिक आजादी में मीडिया का हश्र जो मुम्बई पर आतंकी हमले के दौरान हुआ, वह नहीं होना चाहिए। यहां तक कि आतंकी हमले को कवरेज देकर आतंकियों के प्लान का अनजाने में हिस्सा बना दिए जाने की बात मीडिया ने भी खुद कबूली है। उन्होंने अरविंद उज्जवल के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि जैसे अंग्रेज के जमाने में ब्रिटिश क्राउन की अदालतों के दिलचस्प मामले को संकलित कर पुस्तक का रूप दिया जाता था, उसी तरह हाईकोर्ट के मामलों के अनछुए पहलू को संकलित करना प्रेरणादायक है।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति केके मंडल, न्यायमूर्ति डॉ रविरंजन, न्यायमूर्ति बीपी वर्मा, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह एवं न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह मौजूद थे। बड़ी संख्या में अधिवक्ता, सीनियर एडवोकेट एवं सरकारी वकील सह लीगल रिपोर्टर प्रशांत प्रताप, निर्भय कुमार सिंह, शंभू शरण सिंह एवं आनंद वर्मा मौजूद थे। 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना