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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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बिहार के तीन पत्रकारों के पुस्‍तकों का लोकार्पण

पटना पुस्‍तक मेला में एक ही मंच से लोकार्पित

पटना, साकिब ज़िया/ ज्ञान भवन में आयोजित 24वें सीआरडी पटना पुस्‍तक मेले के आखिरी रविवार को बिहार के तीन पत्रकारों की किताबें एक ही मंच से लोकार्पित की गई। लोकार्पित की गई किताबों में वरीय पत्रकार अवधेश प्रीत की 'अशोकराज पथ',  विकास कुमार झा की 'गयासुर संधान'  और युवा पत्रकार पुष्‍य मित्र की 'चंपारण 1917'  शामिल थे। पुस्‍तकों का लोकार्पण दिवाकर, वरिष्ठ कवि लीलाधार मंडलोई , अरुण कमल, इतिहास अध्येता भैरवलाल दास के द्वारा किया गया। इस अवसर पर अवधेश प्रीत, विकास कुमार झा और पुष्‍य मित्र के साथ ही वरीय लेखक, चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता और रंग और संस्‍कृतिकर्मी भी शामिल रहे। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्‍ठ कवि अरूण कमल ने कहा कि इन तीनों पुस्‍तकों में 2 नान फिक्‍शन और फिक्‍श्‍न की संधि रेखा पर है।

वरिष्‍ठ कवि लीलाधर मडलोई ने कहा कि 20वीं सदी के उतरार्ध में बाजार के साथ गठजोड़ से हमारी सारी संचार विधाएं समाचार, टीवी, पत्रिकाएं प्रभावित हुई हैं पर हमारा साहित्‍य अब भी इससे अछूता है। उन्‍होनें कहा कि यह तीनों रचनाएं अपने-अपने स्‍थानीयता के  स्‍तर पर, भाषा के स्‍तर पर शोध के स्‍तर पर और चिंतन के स्‍तर पर काफी उत्‍कृष्‍ट है। खासकर चंपारण की पुस्‍तक  इतिहास और कथ्‍य का अनूठा मिश्रण है। 

भैरवलाल दास ने तीनों लेखकों के साथ ही राजकमल प्रकाशन को बधाई दी। श्री दिवाकर ने तीनों लेखकों को उनकी कृति के लिए बधाई देते हुए कहा कि तीनों रचनाएं अपने आप में अनूठी और पठनीय है। 

कार्यक्रम के अंत में धन्‍यवाद ज्ञापन करते हुए राजकमल प्रकाशन के अलिंद माहेश्‍वरी ने कहा कि राजकमल का पटना से पुराना संबंध रहा है। अगले साल हमारा प्रयास होगा कि हम और ज्‍यादा पुस्तकें आप लोगों के लिए लेकर आएं। मंच संचालन रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया। कार्यक्रम में कवि डॉ.विनय कुमार, संतोष दीक्षित कथाकार, कर्मेंदु शिशिर, रंगकर्मी अनीश अंकुर के साथ ही साहित्‍य प्रेमी भी उपस्‍थ्‍ित रहे।

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सम्पादक

डॉ. लीना