मौलाना मज़हरूल हक़ अरबी एवं फ़ारसी विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में डॉ. मुकेश कुमार की पुस्तक “लोकल इज ग्लोबल : स्टोरी ऑफ़ स्मॉल हिन्दी न्यूज़पेपर्स इन इंडिया” पुस्तक विमोचन का आयोजन
पटना/ मौलाना मज़हरूल हक़ अरबी एवं फ़ारसी विश्वविद्यालय, पटना में पत्रकारिता विभाग के व्याख्याता डॉ. मुकेश कुमार की पुस्तक “लोकल इज ग्लोबल : स्टोरी ऑफ़ स्मॉल हिन्दी न्यूज़पेपर्स इन इंडिया” का विमोचन 17 मई को भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी संजय कुमार, शिक्षा विभाग के डीन डॉ. असदुल्लाह खान, पत्रकार संतोष कुमार, सरोज सिंह और डॉ मुकेश कुमार ने किया।
इस अवसर पर भारतीय सूचना सेवा अधिकारी एवं केंद्रीय संचार ब्यूरो के उपनिदेशक संजय कुमार ने कहा कि भारतीय परिदृश्य में लघु समाचारपत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है। विकास और जनसरोकारों के मुद्दों पर केंद्रित इन समाचरपत्रों के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं, फिर भी सदियों से प्रकाशित हो रहे हैं। और इन पर पुस्तक का आना बड़ी बात है। यह पुस्तक पत्रकारिता के छात्रों के लिए शोध के तौर पर प्रयोग हो सकता है। उन्होंने पुस्तक की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि लघु समाचारपत्रों को इसे वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में समझने की ज़रूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा कि छोटे अख़बार आज भी जनसरोकार की पत्रकारिता को जीवित रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जहाँ बड़े मीडिया संस्थान बाज़ारवाद और कॉरपोरेट दबाव में कई बार जनहित की खबरों को पीछे छोड़ देते हैं, वहीं छोटे अख़बार स्थानीय मुद्दों, आम जनता की आवाज़ और सामाजिक संघर्षों को प्रमुखता देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि छोटे अख़बारों की पहुंच सीमित भले ही हो, लेकिन उनका प्रभाव गहराई लिए होता है।
वरिष्ठ पत्रकार सरोज सिंह ने कहा कि छोटे अख़बार पत्रकारिता की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि इन अख़बारों के पत्रकार सीमित संसाधनों में भी अपने दायित्व का निर्वाह करते हैं और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल युग में छोटे अख़बारों को तकनीक से जोड़ना और सरकारी व निजी सहयोग दिलाना आवश्यक है, ताकि वे टिकाऊ बने रहें और निष्पक्ष पत्रकारिता को आगे बढ़ाते रहें।
पुस्तक के लेखक पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के शिक्षक डॉ.मुकेश कुमार ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंग्रेजी में लिखी इस पुस्तक में लघु समाचार पत्रों की संघर्ष गाथा तो है ही साथ ही पत्रकारिता को रौशनी दिखाते लधु समाचार पत्रों की दुनिया को परोसा गया है। उन्होंने कहा कि छोटे अख़बार ही बड़े अख़बारों की बुनियाद हैं। जिस पत्रकारिता की बात हम आदर्श रूप में करते हैं जनपक्षधरता, सच्चाई और संघर्षशीलता वह छोटे अख़बारों में आज भी जीवित है। इतिहास गवाह है कि कई बार जब बड़े मीडिया संस्थान चुप रहे, तब छोटे अख़बारों ने सत्ता की नींव हिला देने वाले सच को उजागर किया। उन्होंने कहा कि मेरी यह पुस्तक भी पत्रकारिता के अनुभवों की उपज है ।
वहीं शिक्षा विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ असदुल्लाह खान ने पुस्तक लोकल इज़ ग्लोबल पर कहा कि यह पुस्तक न सिर्फ पत्रकारिता के छात्रों के लिए मार्गदर्शक है, बल्कि शोधकर्ताओं, मीडिया विश्लेषकों और जनसंचार के क्षेत्र में कार्यरत हर व्यक्ति के लिए एक उपयोगी दस्तावेज़ है।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डॉ मुक्ता सिन्हा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पत्रकारिता विभाग के सहायक प्रध्यापक डॉ रणजीत ने किया । इस अवसर पर डॉ संजीत, डॉ चंद्रेश्वरी, श्रीमती ऋचा, रचना, रतनसेन, प्रतिमा, शालिनी, सुमन, आमिर, शाहनवाज, नवाब शरीफ, सूफिया, प्रियंका, मोना, शहाबुद्दीन, संजर, सूरज, सजिया, मनीष, मोनू, निसार सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं मौजूद रहे ।