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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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भाषा की शुद्धता भी डिजिटल मीडिया की बड़ी नैतिक जिम्मेवारी

डब्ल्यूजेएआई के "संवाद" में वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व संपादक और डब्ल्यूजेएआई के पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश अश्क ने बताया कैसे शुद्ध करें भाषा

पटना/ वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (डब्ल्यूजेएआई) के संवाद कार्यक्रम के चौथे सेशन में कल शाम डब्ल्यूजेएआई के पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं पूर्व संपादक प्रभात खबर, हिंदुस्तान एवं राष्ट्रीय सहारा के पूर्व संपादक ओम प्रकाश अश्क ने संबोधित किया। उन्होंने 'डिजिटल मीडिया का भाषायी संस्कार' विषय पर वेब पत्रकारों को कई अहम बातें सिखाई। उन्होंने कहा कि एक समय था जब अख़बारों और टीवी का दौर था लेकिन आज डिजिटल मीडिया सबसे अधिक देखा जाने वाला माध्यम है।

उन्होंने कहा, पहले लोग प्रतिदिन अख़बार पढना पसंद करते थे ताकि उनकी भाषा शुद्ध हो सके लेकिन आज अख़बार के पाठक की संख्या में कमी आई है। धीरे धीरे डिजिटल मीडिया ने अपना पैर पसारना शुरू किया और डिजिटल मीडिया अकेले ही प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का मुकाबला कर रहा है। पहले लोगों के घर में अख़बार आते थे तब वे खबर जान पाते थे लेकिन आज के दिनों में अख़बार आये या नहीं लोग खबरों से अपडेट रहते हैं और इसका जरिया है डिजिटल मीडिया। आज के समय में घटना के कुछ मिनट बाद ही सारी खबरें डिजिटल मीडिया और यूट्यूब पर उपलब्ध हो जाता है जिसकी वजह से पाठकों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।

प्रकाशित करने से पहले प्रभाव का आकलन जरुरी

डिजिटल मीडिया के बढ़ते लोकप्रियता के बीच अगर कुछ चुनौती है तो वह है भाषायी समझ की। इतनी बड़ी जिम्मेवारी के बाद डिजिटल मीडिया की नैतिक जिम्मेवारी है कि वे वैसी चीजें लोगों के सामने परोसें जिसमें वह भाषा की शुद्धता और शैली अच्छी हो। हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि खबर बनाते समय शब्दों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। हमें कोई भी खबर उसके प्रभाव का आकलन करने के बाद ही प्रकाशित करना चाहिए।

लिखी गई खबरों को दुबारा जरुर पढ़ें

हमें अति उत्साह और सबसे पहले की रेस से बचना चाहिए, हमारे पास भले ही किसी मामले का सारा सबूत हो लेकिन प्रभाव को जाने बगैर खबर प्रकाशित नहीं करना चाहिए। हम जब भी कोई खबर या स्टोरी लिखते हैं तो उसे एक बार खुद से जरुर पढना चाहिए ताकि गलतियाँ निकाल सकें। अगर संभव हो तो किसी दूसरे व्यक्ति से पढवा कर गलतियों को खत्म कर सकते हैं। पहले मीडिया हाउस में भाषायी एक्सपर्ट होते थे जो लिखे गए खबरों की भाषायी गलतियों को खोजते थे लेकिन अब वह परंपरा खत्म होती जा रही है और यही वजह है कि डिजिटल मीडिया जितनी तेजी से लोगों के बीच जा रहा है उतनी ही तेजी से इसकी भाषा बदतर होते जा रही है। 

सबसे पहले के चक्कर में भूल रहे भाषा

उन्होंने कहा कि पत्रकारों की भाषा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश जारी कर कुछ शब्दों को प्रकाशित नहीं करने के लिए कहा है। इसके लिए आज के समय में कई सुविधाएं भी हैं कि आप जो कुछ लिखते हैं उसे क्रॉसचेक कर सकते हैं। अब आप एआई के माध्यम से भी भाषायी के साथ ही संदर्भ की जानकारी हासिल कर सकते हैं। संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ओम प्रकाश अश्क ने कहा कि आज के डिजिटल समय में लोग फ़ास्ट और फास्टर होते जा रहे हैं और इस वजह से वे अपनी भाषा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

तेज नहीं बेहतर बनें

मैं पहले भी सलाह देता आया हूं और अभी भी सलाह दूंगा कि आप पढ़िए। आज के समय में लोग कुछ पढ़ते नहीं हैं। जब हम पढना शुरू करेंगे तो फिर न सिर्फ हमारी भाषा बल्कि हमारा कंटेंट भी शुद्ध होगा। अगर किसी भी खबर को जल्दी से पोस्ट करना है तो कम शब्दों में ब्रेकिंग प्रकाशित कर लीजिये लेकिन खबर बेहतर कंटेंट के साथ ही पोस्ट करें। हमें यह नहीं देखना चाहिए कि हम सबसे पहले पोस्ट करें, बल्कि हम बेहतर कैसे बनें यह सोचना चाहिए। इस दौरान उन्होंने भाषायी शुद्धता के लिए प्रेमचंद की किताबें पढने की भी सलाह दी।

संवाद कार्यक्रम के दौरान स्वागत भाषण राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल ने दिया जबकि धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ माधो सिंह और संचालन राष्ट्रीय महासचिव अमित रंजन ने किया। संवाद कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से डब्ल्यूजेएआई के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के पदाधिकारी, सदस्य समेत देश भर से पत्रकारों ने हिस्सा लिया।

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सम्पादक

डॉ. लीना