Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

मीडिया और राजनीति में महिला भागीदारी

साकिब ज़िया /पटना। राजनीति और मीडिया में महिला भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। यह क्षेत्र समाज की दिशा और दशा तय करने में प्रभावी भूमिका तय करते हैं। औक्सफैम इंडिया द्वारा, मीडिया फ्रीडम- जेंडर, कल्चर और पॉलेटिक्स विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे और अंतिम दिन कल महिला पत्रकारों ने इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला में राजधानी सहित देश की महिला और पुरूष पत्रकारों ने भाग लिया।

अंतिम दिन कार्यशाला के एक सत्र में मीडिया में महिलाओं के समक्ष चुनौतियां और कार्यस्थल पर उनके उत्पीड़न विषय पर चर्चा की गई। लंदन की वरिष्ठ पत्रकार मणि पदमा जेना ने कहा कि मीडिया में काम करने वाली महिलाएं अपने स्तर से प्रयास करें कि कार्यस्थल में शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के मामले में सुनवाई करने के लिए गठित सेल इमानदारी से अपना फर्ज निभाए। उन्होंने कहा कि सच्चाई के तह तक जाने का साहस महिलाएं ही ज्यादा दिखा सकती हैं। वहीं पत्रकार आभा रानी ने कहा कि ज्यादातर महिलाएं मीडिया में अधिक समय तक नहीं टिक पाती और कुछ साल बाद ही अपना कार्यक्षेत्र बदल लेती हैं या फिर घर संभालने में जुट जाती है। महिलाएं राजनीति में अपना दावा बढ़ चढ़ कर पेश करें, उनसे संबंधित मामले लोकसभा और विधानसभा तक पहुंचे तभी उनके पक्ष में नीतियां और कानून बनाने में मदद मिलेगी।इस मौके पर दूरदर्शन की वरिष्ठ अधिकारी रत्ना पुराकास्था ने कहा कि उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को बहादुरी के साथ अपने अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिए आगे आना होगा तभी समाज को बेहतर दिशा मिलेगी। कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार रजनी, शैली सहित राजनीतिक जगत की कई महिला हस्तियों ने भी भाग लिया और अपने विचार रखें।

इस मौके पर विभिन्न मीडिया संस्थानों के छात्र -छात्राओं ने भी बढ़ -चढ़ कर हिस्सा लिया और उन्होंने अपने सवाल व विचार बेबाकी से रखे। 

साकिब ज़िया मीडियामोरचा के ब्यूरोचीफ़ है।

 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना