सूचना एवं प्रसारण सचिव ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग से विभिन्न प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने और भारत को ग्लोबल कॉन्टेंट हब बनाने के सरकार के प्रयास का समर्थन करने का आग्रह किया
इस ऑडियो-विजुअल सेक्टर के विकास के लिए उद्योग अनुकूल नीतियों, सहयोग और सरकार व उद्योग हितधारकों के बीच नियमित बातचीत की आवश्यकता है। फिल्म क्षेत्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की नोडल विकास एजेंसी, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम ने आज मुंबई में ऐसी ही एक हितधारक बैठक का आयोजन किया। 26 सितंबर, 2022 को मुंबई में हुई इस बैठक में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा और एनएफडीसी के एमडी रविंदर भाकर ने हिस्सा लिया।
इस बैठक में फिल्म उद्योग का प्रतिनिधित्व जाने-माने फिल्मकारों और पेशेवरों ने किया। इनमें मैडॉक फिल्म्स के संस्थापक दिनेश विजान, धर्मा प्रोडक्शंस के सीईओ अपूर्व मेहता, अयान मुखर्जी, आर बाल्की, अबन्डंशिया के सीईओ विक्रम मल्होत्रा, एमेजॉन प्राइम वीडियो से गौरव गांधी और अपर्णा पुरोहित, नेटफ्लिक्स से मोनिका शेरगिल, पेन इंडिया के चेयरमैन जयंती लाल गड़ा, बालाजी मोशन पिक्चर्स की सीईओ भाविनी शेठ, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट शिबाशीष सरकार, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सीईओ नितिन तेज आहूजा, निर्माता महावीर जैन और मधु मंटेना शामिल थे।
इस दौरान हुई बातचीत एमएंडई इंडस्ट्री की संभावनाओं को तलाशने के लिए सरकार द्वारा की गई रणनीतिक पहल के आसपास केंद्रित थी। फिल्म सुविधा कार्यालय के माध्यम से भारत में फिल्मांकन को आसान बनाने और घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योग में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए इन्वेस्ट इंडिया के शामिल होने को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय की कोशिशों पर प्रकाश डाला गया। अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माण और ऑफिशियल को-प्रोडक्शंस के लिए हाल ही में शुरू की गई प्रोत्साहन योजना पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसमें वो लाभ भी शामिल हैं जो भारत में कंटेंट क्रिएशन से होंगे। उद्योग से जुड़े प्रमुखों से आग्रह किया गया कि एफएफओ इकोसिस्टम का लाभ उठाएं और इन प्रोत्साहनों पर उनके सुझावों को विधिवत दर्ज भी किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव के आगामी 53वें संस्करण को सफल बनाने के साथ-साथ इस उद्योग के लिए अवसरों का सृजन करने के लिए सरकार के प्रयासों पर भी ज़ोर दिया गया। ड्राफ्ट सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2021 में किए गए संशोधनों पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। उद्योग के प्रतिभागियों से मिली प्रतिक्रियाएं सकारात्मक थीं और उन्होंने सर्वसम्मति से प्रस्तावित संशोधनों को स्वीकार किया।
इन हितधारकों को बताया गया कि भारत में सिनेमाघरों के घनत्व के प्रति उद्योग की चिंता से मंत्रालय वाकिफ है और इसके नतीजतन स्क्रीन्स/थिएटर्स के निर्माण की अनुमति में आसानी के लिए एक सिंगल विंडो इकोसिस्टम का विकास और एक मॉडल कानून पर कार्य किया जा रहा है। मंत्रालय द्वारा इस ऑडियो-विजुअल क्षेत्र में मंत्रालय द्वारा किए जा रहे कई अन्य प्रयासों की ओर भी उद्योग का ध्यान आकर्षित किया गया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने आज की चर्चा को सार्थक बताया और कहा: “उद्योग के साथ इस बातचीत ने फिल्म उद्योग को गति देने में मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के प्रति विभिन्न हितधारकों को अवगत कराने का एक सही अवसर प्रदान किया। प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया उत्साहजनक थी और हमने उनसे इन विभिन्न प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने और भारत को वैश्विक कंटेंट हब बनाने के हमारे प्रयास का समर्थन करने का आग्रह किया है।”