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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में खुलेगा भाषा व संस्कृति अध्ययन विभाग

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाओं पर वैज्ञानिक शोध हेतु एक विभाग स्थापित किया जाएगा। इसी प्रकार संस्कृति के अध्ययन के लिए भी एक विभाग की स्थापना की जाएगी। दोनों नव-निर्मित विभाग प्रारंभ में केवल शोध का कार्य करेंगे, बाद में इन विभागों के विषयानुसार पाठ्यक्रम भी चलाए जा सकेंगे। दोनों विभागों में तीन-तीन छात्रिवृत्तियों का प्रावधान किया गया है। उक्त निर्णय 8 मार्च को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न विश्वविद्यालय की प्रबंध समिति की बैठक में लिए गए। बैठक में वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया सहित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री एस.के. मिश्रा एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि मीडिया का आधार भाषा है और भारतीय भाषाओं में अंतर्संवाद को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे देश में एकता और एकात्मता स्थापित हो। भाषा विज्ञान विभाग में प्रयास किया जाएगा कि भारतीय भाषाओं की समानताओं एवं एक ही स्रोत से उत्पत्ति पर वैज्ञानिक शोध कार्य तीन शोधार्थियों द्वारा किया जाय। इसी प्रकार मीडिया संस्कृति का वाहक भी और संस्कृति का निर्माण भी करता है इसलिए मीडिया के विश्वविद्यालय में संस्कृति के अध्ययन का भी प्रावधान किया गया है। इस विभाग में भी में तीन शोधार्थियों द्वारा शोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शोध प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए शीघ्र ही विज्ञापन जारी किया जाएगा। प्रबंध समिति की बैठक के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा काठमाण्डू विश्वविद्यालय के साथ ‘भारत-नेपाल सम्बन्धों में मीडिया की भूमिका’ विषय पर काठमाण्डू में दो दिवसीय संगोष्ठी के आयोजन पर भी चर्चा हुई, जिसमें मुख्यमंत्री स्वयं उपस्थित रहने वाले हैं। विश्वविद्यालय द्वारा 18-19 मार्च, 2017 को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता के परिसर में ‘भारतीय भाषाओं में अंतर्संवाद’ विषय पर कोलकाता में आयोजित संगोष्ठी की सूचना भी कुलपति ने दी।  

बैठक में माखनलाल विश्वविद्यालय के रीवा एवं खण्डवा परिसरों के लिए भूमि उपांतरण एवं भवन निर्माण के लिए प्रत्येक परिसर हेतु 60 करोड़ की राशि स्वीकृति भी की गई। ज्ञातव्य है कि राज्य शासन की ओर से विश्वविद्यालय के खण्डवा एवं रीवा परिसर के निर्माण के लिए 5-5 एकड़ भूमि प्रदान की गई है। इन दोनों स्थानों पर निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा।       

इसी प्रकार भारतीय जीवन बीमा निगम के माध्यम से विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दिलाए जाने की स्वीकृति बैठक में प्रदान की गई। विश्वविद्यालय के कारपस को रिजर्व बैंक आफ इंडिया के8 प्रतिशत सेविंग(टैक्सेवल) बांड 2003 में विनियोजित किए जाने की स्वीकृति बैठक में दी गई।

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सम्पादक

डॉ. लीना