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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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जनसंचार विमर्श का हुआ विमोचन

जबलपुर। शोध पत्रिका जनसंचार विमर्श का विमोचन विगत दिनों जबलपुर के एक कार्यक्रम में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर  के कुलपति प्रो0 सच्चिदानन्द जोशी द्वारा किया गया। पत्रिका के विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो0 जोशी ने कहा कि आज मीडिया शिक्षा फिलवक्त दो किस्म के वैचारिक द्वंद्वों के बीच झूल रही है। अभी इसमें से किसी को भी उचित अथवा अनुचित बता खारिज नहीं किया जा सकता। एक है नैसर्गिक प्रतिभा बनाम विधिवत शिक्षा। दूसरा है मिशन बनाम प्रोफेशन। इन दोनों ही द्वंद्वों के बीच रास्ता खोजकर मीडिया शिक्षा की संभावनाओं आवश्यकताओं, विवशताओं और संदर्भों को देखना होगा। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया का सीधा सरोकार समाज और देश से है।

आज मीडिया जीवनशैली को न सिर्फ प्रभावित कर रहा है, बल्कि उसे दिशा निर्देशित भी कर रहा है। ऐसे में यदि मीडिया शिक्षा मूल्यों और प्रतिबद्धता के बारे में ज्ञान देने वाली नहीं होगी तो वह न राष्ट्रहित में होगी न समाज के हित में मीडिया शिक्षा के प्रमुख तत्व के रुप में मूल्य एवं प्रतिबद्धता के बारे में सजगता का समावेश आज मीडिया शिक्षा की प्रमुख आवश्यकता है। इसी दृष्टि से मीडिया के पाठ्यक्रमों को तैयार किया जाना चाहिए। पत्रकारिता शिक्षा एवं शोध में स्तरीय शोध पत्रिका की कमी खलती है, जिस तरीके के शोध परक ज्ञान की जरुरत समाज को है शायद बाजार में उपलब्ध पत्रिकाओं में वह स्तर नहीं आ पा रहा है। आज आप बुक स्टाल पर खडे़ हो जाएं तो अनेकोंनेक शोध पत्रिकाए दिखेंगी लेकिन उनका स्तर जब आप देखेंगे तो आपको निराशा ही हाथ लगेगी। तो मेरा मानना है कि किसी भी समाज का तभी विकास होगा जब वहां पर शोध परक शिक्षा का मानक उच्च होगा। जनसंचार विमर्श ने कुछ हद तक जरुर इस मानक को पूरा करने का प्रयास किया है। अगर स्तरीय शोधपत्र समाज में आयेगी तो मुझे विश्वास है कि पत्रकारिता के छात्रों को अत्यधिक फायदा होगा साथ ही उनके समाज के प्रति जो उत्तरदायित्व और जिम्मेदारी है उसका भी वह बखुबी निर्वहन कर सकेंगे। पत्रकारिता शिक्षा आज एक व्यापक स्वरुप ले चुका है अतः इस स्थिति में अगर हमने छात्रों को स्तरीय पाठ्य सामग्री और स्तरीय शोध परक ज्ञान नहीं दिया  तो शायद उनके लिए भविष्य का मार्ग काफी कठिन हो जायेगा। 

जो शोध पत्र या लेख इस शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं, वह समाज को एक नई दिशा प्रदान करेंगे। साथ ही साथ पत्रकारिता एंव जनसंचार के क्षेत्र में हो रहे शोधपरक विकास में भी सहायक होंगे। आगे उन्होंने कहा कि जिन विद्धतजनों को इस पत्रिका के संपादकीय मंडल में रखा गया है वह सभी लोग पत्रकारिता शिक्षा के क्षेत्र का बड़ा नाम है। चाहे वह प्रो0 हेमन्त जोशी हो, प्रो0 सुभाष धुलिया हो या संजय द्विवेदी हो या डा. पवित्र श्रीवास्तव या वर्तिका नंदा या श्यामलाल यादव, संजय कुमार ये सभी देश के बडे़ नाम है और जनसंचार विमर्श को इनका मार्गदर्शन मिलेगा तो यह पत्रिका कुछ ही दिनों में एक अग्रणी शोध पत्रिका बन जायेगी। उन्होंने कहा कि पत्रिका के संपादक स्वयं में युवा पत्रकार हैं और जिस देश की सबसे ज्यादा आबादी युवाओं की हो उस देश की शिक्षा और उसका शोध कार्य यकीनन बेहतर होना चाहिए, ऐसी मझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास है। उन्होंने आगे कहा कि युवा संपादक जरुर पत्रिका को नई दिशा प्रदान करेंगे। इससे पत्रकारिता शिक्षा में नये आयाम विकसित होंगे, जिन शोध पत्रों को पत्रिका में शामिल किया गया है वो बहुत ही ज्ञानवान शोधपत्र  हैं और जो भी इनका अध्ययन करेगा उसको जरुर एक नई दिशा मिलेगी। इस पत्रिका में प्रकाशित लेख भी ज्वलंत मुद्दों पर बहस का मार्ग प्रशस्त करते हैं। शोध पत्रिका को ISSN नंबर भी प्राप्त है। पत्रिका में देश भर के अनेक विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता विभाग के अनेक शोधरत छात्र-छात्राओं के शोधपत्र भी प्रकाशित किये गये हैं। जिससे पत्रकारिता शिक्षा को भी एक नया आयाम मिल सके। 

कार्यक्रम में सागर विश्वविद्यालय पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सहायक प्राध्यापक डा. अलीम अहमद खान जनसंचार अध्ययन केन्द्र, पंजाब विश्वविद्यालय,चण्डीगढ़ के जूनियर रिसर्च फेलो मुकेश कुमार एवं इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक मीडिया  प्रोडक्शन सेंटर में प्रोड्यूसर संतोष कुमार पाण्डियन एवं बिहार से शिक्षाशास्त्री डा.विभाष चन्द्र एवं उमेश कुमार पाठक शोधार्थी, संचार एवं मीडिया अध्ययन केन्द्र, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मुकेश कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन पत्रिका के संपादक संदीप कुमार श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में पत्रकारिता शिक्षा से जुडे़ अनेक छात्र एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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सम्पादक

डॉ. लीना