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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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"तहकीकात" पुस्तक का विमोचन

इंदौर/युवा पत्रकार और मध्य प्रदेश में तहलका के वरिष्ठ संवाददाता शिरीष खरे की खोजी पत्रकारिता पर आधारित पहली पुस्तक ‘तहकीकात’ का विमोचन किया गया. इस दौरान देश के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, दूरदर्शन के महाप्रबंधक त्रिपुरारी शरण, जाने-माने न्यूज एंकर आषुतोष, एक्सचेंज फॉर मीडिया के संपादक अनुराग बत्रा, सकाल (मराठी) के सलाहकार संपादक विजय नायक, नई दुनिया के समूह संपादक श्रवण गर्ग, अजय उपाध्याय, सुरेश बाफना और सीमा मुस्तफा जैसी हस्तियां मौजूद थीं.

‘तहकीकात’ पुस्तक में मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई बड़े घोटालों के खुलासों से जुड़ी बातों पर प्रकाश डाला गया है. यह पुस्तक युवा पत्रकार की उन विशेष रिपोर्टों पर आधारित हैं जो उन्होंने बीते दो सालों के दौरान इन राज्यों में पत्रकारिता का काम करते हुए तैयार की हैं. इसमें खास तौर से इन राज्यों के राजनीतिक मूल्यों में आई गिरावट को प्रक्रियाओं के साथ समझने की कोशिश की गई है और उन्हें संदर्भों सहित रखा गया है.

गौरतलब है कि मीडिया के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी यह सभी हस्तियां  इंदौर के होटल फॉरच्यून लेंड मार्क में इंदौर प्रेस क्लब और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में द्वारा आयोजित ‘पत्रकारिता की नई चुनौतियां’ में शामिल हुई थीं. इस दौरान उन्होंने खास तौर से युवा पत्रकारों के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर अपने अनुभव और विचारों को भी लोगों के साथ साझा किया.

'तहकीकात' पुस्तक मुखौटों के पीछे का ऐसा सच है जिसमें रिपोर्ट दर रिपोर्ट कई बड़े घोटालों का खुलासा हुआ है. साथ ही भ्रष्ट व्यवस्था के ऊंचे सोपानों पर बैठे व्यक्तियों के दोहरे चरित्र की पड़ताल भी की गई है. यह पुस्तक मुख्यतः उन विशेष रिपोर्टों पर आधारित है जो लेखक ने बीते दो सालों में मध्य प्रदेश और राजस्थान रहते हुए लिखी थीं. अपने समय की तस्वीरें बताती हैं कि देश के विकसित होते इन राज्यों में आर्थिक घटनाक्रम किस तेजी से बदल रहा है. इसकी वजह से खास तौर पर राजनीतिक मूल्यों में किस हद तक गिरावट आई है. रिपोर्टिंग के पीछे मकसद था कि ऐसी स्थितियों की प्रक्रियाओं को जाना जाए और उन्हें संदर्भ के रुप में रखा जाए. दूसरे शब्दों में यह अपने समय का लघु दस्तावेज है.

एक युवा पत्रकार के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि पत्रकारिता के पहले ही दौर में मैंने जो लिखा उसकी गूंज सियासी गलियारों से लेकर सदन तक हुई. इस मामले में मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान के उन संस्कारों का धन्यवाद जहां असली शक्ल दिखाने के बावजूद आईना तोड़ने का चलन अभी पनपा नहीं है.

 

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सम्पादक

डॉ. लीना