Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

"मीडिया हैज गाँट टैलेंट " का आयोजन

वसंतोत्सव मेला समारोह मे मीडियाकर्मियो ने दिखाई प्रतिभा, दस्तक प्रभात पत्र के संपादक प्रभात वर्मा ने मगही भाषा की प्रतिष्ठा मे लगाया चार चांद  

पटना । बिहार सरकार के सूचना एवं जनता सम्पर्क विभाग के तत्वावधान में आयोजित “वसंतोत्सव-2018” के मौके पर शनिवार, 17 फ़रवरी को "मीडिया हैज गाँट टैलेंट "  के आयोजन में पत्रकारों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया । आयोजित कार्यक्रम में अखबार और टीवी चैनल के पत्रकारों ने अपने हुनर से उपस्थित श्रोताओ के मनोरंजन के साथ अहलदित करते मन को जीतने की कोशिश की । इस अवसर पर मुख्य रूप से भाग लेने वाले पत्रकारों में दैनिक जागरण के मृत्युंजय मानी, हिन्दुस्तान की सविता कुमारी, संजय कुमार, दस्तक प्रभात समाचार-पत्र के संपादक प्रभात वर्मा, लालबहादुर प्रसाद  न्यूज चैनल के एंकर नीतू सिन्हा, जय भाष्कर,  रवि शंकर सिंह, कुमार गौतम, मनीष कुमार सिन्हा, जागरण के अहमद रजा हाशमी ,रूपेश रंजन सिन्हा, धीरेन्द्र गुप्ता समेत 32 पत्रकारों  ने कविता, लघुकथा ,गीत ,नृत्य, हास्य मे अपनी प्रस्तुति दी । कार्यक्रम का शुभारंभ पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने दीप प्रज्वलित कर किया । मौके पर धन्यवाद ज्ञापन सूचना एंव जन सम्पर्क उप निदेशक ने किया और इस कार्यक्रम के विजेताओं के नाम की  घोषणा की ।

कार्यक्रम मे जागरण के मृत्युंजय मानी ने अपनी  कविता में पत्रकारों की बदहाल स्थिति पर प्रकाश डाला तो, दस्तक प्रभात समाचार-पत्र के संपादक प्रभात वर्मा ने अपनी साहित्य कला क्षमता का भरपूर प्रदर्शन किया और मगही भाषा को स्थापित करने का भरपूर प्रयास किया ।फिर  गाया-"जुग जमाना अइसन बदलल, जइसे बदल हे रंग सियार , ओकारो से  भारी रंग  बदलहे, कलयुग मे इंसान इहा । " हास्य व्यंग्य की कविता- " रस्से रस्से बुढाढी चढके देहिया पर हो गेल सवार,केजा- केजा दरद समाल हे,कौची - कौची बताउ ? " अपने फुटगद बात सुनाते श्री वर्मा ने कहा - "बुढवन देश चलावे, जुअनकन के  कहे  पकौड़े  बेच के  घर चलाउ ।"   

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना