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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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Blog posts : "पत्रिका पुस्तक समीक्षा लोग सम्‍मान साहित्य "

शिवाजी के किलों की कहानी बताती है ‘हिन्दवी स्वराज्य दर्शन’

प्रो. (डॉ) संजय द्विवेदी/ लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुमक्कड़ी उनका स्वभाव है। वे जहाँ भी जाते हैं, उस स्थान के अपने अनुभवों के साथ ही उसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व स…

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सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफ़रत एक सुनियोजित षड़यंत्र ?

तनवीर जाफ़री/ जिस भारत देश में स्कूली शिक्षा में प्राइमरी कक्षा की इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में सभी धर्मों के महापुरुषों की जीवन गाथा केवल इसी मक़सद से पढ़ाई जाती थी ताकि देश के कर्णधार बच्चों को न केवल उनके व्यक्तित्व के बारे में पता चल सके बल्कि उनके प्रति आदर, सत्कार, सम्मान व स्…

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लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

बी. एल. आच्छा/ कहते हैं कि आलोचकों की मूर्तियां नहीं बनती। पर दौलतपुर (रायबरेली) के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तो अपवाद हैं ही। और साहित्य में लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का व्यक्तित्व तो हिन्दी के हर पाठक में मूर्तिमान है। यह क्या कम है कि ग्राम अगौना जनपद बस्…

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एक पत्रकार त्रिलोक दीप जैसा

प्रो. संजय द्विवेदी/ ये ऊपर वाले की रहमत ही थी कि त्रिलोक दीप सर का मेरी जिंदगी में आना हुआ। दिल्ली न आता तो शायद इस बहुत खास आदमी से मेरी मुलाकातें न होतीं। देश की नामवर पत्रिकाओं में जिनका नाम पढ़कर पत्रकारिता का ककहरा सीखा, वे उनमें से एक हैं। सोचा न था कि इस ख्यात…

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रामसिंह की ट्रेनिंग

मॉस कम्युनिकेशन में यह नहीं पढाया जाता .... 

दिनेश चौधरी/ पिछले छः-सात दिनों से पड़ोस वाले घर से अजीब-सी आवाजें आती हैं। आवाज जानी-पहचानी सी लगती तो है, पर इतनी तीव्र होती है कि कुछ समझ में नहीं आता। कई बार जी में…

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कुछ तो लोग कहेंगे...लोगों का काम है कहना

डॉ. विनीत उत्पल/ संजय द्विवेदी महज एक नाम है। वह नाम नहीं, जिसके आगे प्रोफेसर या डॉक्टर लगा हो। वह नाम नहीं, जिसके बाद महानिदेशक या कुलपति लगा हो। यह नाम है ऐसे शख्स का, जो समाज के एक तबके से लेकर किसी संस्थान या फिर राष्ट्र की तकदीर बदलनी की क्षमता रखता है। वह राख की एक छोटी…

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कृष्ण नागपाल को बी.बी. पराडकर पत्रकारिता पुरस्कार

नागपुर/  पत्रकारिता और कला के क्षेत्र में महाराष्ट्र सरकार का प्रतिष्ठित बाबूराव विष्णु पराडकर स्वर्ण पुरस्कार के लिये इस वर्ष श्रीकृष्ण नागपाल को चुना गया है. नागपुर से प्रकाशित और प्रसारित चर्चित साप्ताहिक "राष्ट्र पत्रिका" और "विज्ञापन की दुनिया " के संपादक, साहित्य और पत्रकारिता से ज…

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पत्रकार माधो सिंह को डॉक्टरेट की उपाधि

माधो सिंह के शोध का विषय था "भारत के लोकतान्त्रिक विकास में मीडिया की भूमिका : वर्ष 2009 से वर्तमान तक"

बिलासपुर/ डॉ. सी. वी. रमन…

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‘मीडिया को जो लोग चला रहे हैं, वे दरअसल मीडिया के लोग नहीं हैं’

संत समीर/ आजकल आमतौर पर जिस तरह के साक्षात्कार हमें पढ़ने को मिलते हैं, यदि उनके भीतर की परतों को पहचानने की कोशिश करें तो कम ही साक्षात्कार मिलेंगे जो सही मायने में सच का साक्षात् करा पाते हों। आत्मश्लाघा इस दौर के साक्षात्कारों की आम बात है। असुविधाजनक प्रश्नों से बचकर निकल लेना या ग…

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पत्रकारिता से साहित्य में चली आई ‘न हन्यते’

इंदिरा दांगी/ आचार्य संजय द्विवेदी की नई किताब 'न हन्यते' को खोलने से पहले मन पर एक छाप थी कि पत्रकारिता के आचार्य की पुस्तक है और दिवंगत प्रख्यातों के नाम लिखे स्मृति-लेख हैं, जैसे समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ करते ही हैं; लेकिन पुस्तक का पहला ही शब्द-चित्र…

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पत्रकारिता की शक्ति को बताने वाली दस्तावेजी पुस्तक है ‘रतौना आन्दोलन : हिन्दू-मुस्लिम एकता का सेतुबंध’

लाजपत आहूजा के संपादन में इस पुस्तक को लिखा है, लेखक लोकेन्द्र सिंह, दीपक चौकसे और परेश उपाध्याय ने

डॉ. गजेन्द्र सिंह अवास्या/ …

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खबरों के व्यापार में

डॉ अबरार मुल्तानी//

चूंकि हर व्यापार में

फ़ायदा ही मक़सद होता है

इसलिए खबरों के व्यापारियों

का भी खबरों से

बस फ़ायदा ही मक़…

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आत्मीयता से ओत-प्रोत स्मृतियां

पुस्तक समीक्षा/ प्रो. कृपाशंकर चौबे/ प्रो. संजय द्विवेदी की उदार लोकतांत्रिक चेतना का प्रमाण उनकी सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘न हन्यते’ है। ‘न हन्यते' पुस्तक में दिवंगत हुए परिचितों, महापुरुषों के प्रति आत्मीयता से ओत-प्रोत संस्मरण और स्मृति लेख …

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अपने तेवर पर कायम जन मीडिया

संचार व पत्रकारिता के सही मायनों से रूबरू कराता, पूरी की दस साल की यात्रा

डॉ. लीना/ संचार और पत्रकारिता की शोध पत्रिका जन मीडिया ने अपने तेवर और सोच को बरकरार रखते हुए …

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सीरियस खबरें !

अजीत शाही/ पंद्रह साल पहले की बात है. एक न्यूज़ चैनल के मालिक ने मुझे काम पर रखा ये कह कर कि हम न्यूज़ कम कर पा रहे हैं ऊलजलूल ख़बरें ज़्यादा हैं, तुम ज़रा मदद कर दो सीरियस खबरों में. तीन चार हफ़्ते बाद एक स्ट्रिंगर ने एक रिपोर्ट भेजी: कुत्तों का श्मशान. खबर थी कि किसी शहर में कुत्तो…

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समकालीन भारत को समझने की कुंजी है ‘भारतबोध का नया समय’

आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी की नई पुस्तक

प्रो. कृपाशंकर चौबे/  जनसंचार के गंभीर अध्येता प्रो. संजय द्विवेदी की नई पुस्तक ‘भारतबोध का नया समय’ का पहला ही निबंध इ…

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राजनीति का संदर्भ ग्रंथ है “लोकतंत्र का स्पंदन”

पत्रकार अभिमनोज की अभिनव पहल है उनकी यह पुस्तक

प्रदीप द्विवेदी / आधुनिक पत्रकारिता में समाचार विश्लेषक की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है. प्रमुख राष्ट्रीय समाचार विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार- …

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रेडियो प्रसारण का निजीकरण

जन मीडिया का अक्टूबर, 2021 अंक

डॉ लीना/ संचार, माध्यम और पत्रकारिता की पूर्व समीक्षित मासिक पत्रिका जन मीडिया ने अपने खास अंदाज और तेवर के साथ अक्टूबर 2021 के अंक में कई महत्वपूर्ण विषयों को खंगालने का प्रयास किया है।…

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विमल थोराट और दो दलित स्त्रियों का चिंतन

कैलाश दहिया/ 'दलित वैचारिकी और हाशिए का समाज' विषय पर प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तर प्रदेश ने 11 जनवरी, 2021 को फेसबुक के माध्यम से एक परिचर्चा का आयोजन किया था। इस का संचालन आधे-अधूरे दलित आर.डी. आनंद ने किया। इस बातचीत में जो लोग शामिल हुए उन का दलित वैचारिकी से दूर-दूर तक किसी तरह…

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धर्मांतरण का अर्थ है दलितों में विभाजन

कैलाश दहिया/ दलित इतिहास में धर्मांतरण एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज है। दिनांक 14 अक्टूबर, 1956 के दिन बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म में धर्मांतरित हो गए थे, जिन में अधिकांश महार जाति के लोग ही थे। तभी से नवबौद्धों में यह दिन विशेष महत्व क…

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