हेमंत कुमार। 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नज़र में एक अच्छा क़दम हैं.एक लोकतांत्रिक मुल्क के पीएम का दूसरे मुल्क की लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी हुई सरकार के मुखिया से मिलने में ग़लत कुछ भी नहीं है.'
'राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने मोदी की पाकिस्तान यात्रा पर तीखा प्रहार करते हुए पूछा है,मोदी वहाँ बिरयानी खाने गये थे? पठानकोट में सैन्य ठिकाने पर हमला हो गया सरकार सोई रही.मोदी जवाब दें.उनके हाथों में देश सुरक्षित नहीं है. हमारे ऊपर जंगलराज-2 लाने का आरोप लगानेवाले भाजपा नेताओं को बताना चाहिए कि पठानकोट की घटना किस किसिम के राज का नमूना है! '
इन दोनों के बयान बहुत ही तार्किक और सामयिक है. नीतीश का बयान जहां डिप्लोमैटिक है , वहीं लालू का बयान पालिटिकल है. लालू ने मोदी पर राजनीतिक हमला किया है. उन्होंने मोदी और भाजपाइयों के तीर उन्हीं पर चलाये हैं! नीतीश ने कुटनीतिक भाषा में जवाब दिया है कि विवादों का हल बातचीत और आते-जाते रहने से ही होगा. आतंकियों की कारर्वाइयों की आड़ में न बातचीत बंद हो और न आना-जाना रूकना चाहिए!
अब ज़रा मीडिया को देखिए ! नेशनल से लेकर लोकल मीडिया इस बयान को नीतीश और लालू के बीच कथित मतभेद के रूप में प्रचारित कर रहा है.
ऐसे में इसे सवर्णवादी , जातिवादी, सांप्रदायिक और काॅरपोरेटपरस्त मीडिया कहनेवाले लोग ग़लत कैसे ठहराये जा सकते हैं!