Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

एंकरों की जानकारी या संकरी सोच ?

जगमोहन फुटेला / टीवी पत्रकारिता में खासकर एंकरों की जानकारी कितनी सतही है कल रात नौ बजे एनडीटीवी इंडिया पे प्रसारित कार्यक्रम इस की बानगी है. कार्यक्रम छतीसगढ़ नरसंहार पे था और उस में प्रो. हिमांशु कुमार और राहुल पंडिता के अलावा बाकी सब जैसे पार्टियों के प्रवक्ता थे. सच पूछिए तो उस क्षेत्र में अपने लम्बे प्रवास, काम और जुड़ाव की वजह से हिमांशु कुमार ही अकेले व्यक्ति थे जो सरकार से कुछ अलग रौशनी डाल सकते थे. उन्हीं को बोलने का मौका नहीं दिया शो की होस्ट सिकता देव ने. पहला राउंड पूरा होने के बाद हिमांशु कुमार का नंबर ही नहीं आया. दूसरा राउंड शुरू हुआ तो उस में लाइन काट के बाकी बार बार और सिर्फ पार्टी की पहले से पता लाइन पे बोले. सिकता सिर्फ सुनती रहीं जैसे भूल ही गईं कि शो की होस्ट वे हैं. हिमांशु कुमार बोले भी तो दूसरों की बेमतलब की टोकाटाकी से उन्हें बचाने का फ़र्ज़ भी वे भूल गईं.
किसी भी टीवी चैनल का इस मुद्दे पे जो सब से सार्थक और चर्चित कार्यक्रम होता वो सिकता की संकरी सोच और हद दर्जे की अन-प्रोफेशनल एप्रोच के चलते 'शहीद' हो गया!

Jagmohan Phutela@ http://www.facebook.com/phutelajm?ref=ts&fref=ts

 

 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना