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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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जातिवाद मीडिया में देखी .... मजा आ गया!

लालजी निर्मल ।   अरे भैया निर्मल जी मैंने मीडिया के चक्कर में पड़कर पुणे, महाराष्ट्र से लखनऊ आया लेकिन वो गंदगी और जातिवाद मीडिया में देखी कि की मजा आ गया.

 

जानते हैं मेरे पास क्या -२ डिग्रियां थीं बी सी जे [बैचलर ऑफ़ कम्युनिकेशन] तथा पत्रकारिता के अनुभव के साथ -२ ? मैं ३ फैकल्टी --आर्ट्स, मैनेजमेंट और कानून में परा स्नातक और एरोनाटिकल से बी. ई. भी हूँ लेकिन यहाँ किसी भी ग्रुप ने बगैर वेतन तक के भी मुझे अपने यहाँ नहीं काम करने का एक भी मौक़ा ही नहीं दिया वहीँ मेरे एक परिचित को जिसको मैंने पत्रकारिता का ऐ -बी -सी- डी- पढ़ाया -बताया उसे दैनिक जागरण ने अपने यहाँ रख लिया क्यूंकि उसके पास मीडिया के हिसाब से बहुतै बड़ी वाली डिग्री जो थी--जानते हैं मेरे परिचित के पास क्या डिग्री थी --कि वह एक [त्रिपाठी जी] यानि पंडी जी थे.

 

पंडी जी लोग लोकतांत्रिक देश में मीडिया कि ताकत को बहुतै अच्छी तरीके से जानते वा समझते हैं इसीलिए भाजपा-कांग्रेस या अन्य सभी पार्टियां इंडियन मीडिया के ऊपर कभी भी उंगली नहीं उठाते हैं जबकि सबको मालूम है कि मीडिया जिसे चाहे और जब चाहे हीरो बना दे -भगवान बना दे और जिसे चाहे और जैसे चाहे नंगा कर दे -वाट लगा दे. और इंडिया में लोकतंत्र फेल होने का मात्र दो ही कारण है------पहला न्यायपालिका और  दूसरा मीडिया. आप माने या ना माने मेरे सेहत पर कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है. 

( Lalajee Nirmal के फेसबुक वाल से )

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना