Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

दो किस्से !

मीडिया के बीच से

देहरादून में सत्ता के ‘हमबिस्तर’ हो चुके मीडिया के बीच से कुछ मजेदार किस्से निकल आते हैं। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश की आपदा को लेकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेस थी। अब रमेश की छवि मेहनती, ईमानदार और संवेदनशील मंत्री की तो है ही। उड़ीसा में उनके द्वारा खनन बन्द करवाने से नाराज होकर ही वेदान्ता ने उन्हें पर्यावरण मंत्रालय से बाहर करवा दिया था।

बहुगुणा की नाकाबिलियत से वाकिफ रमेश ने सोचा होगा कि देहरादून के ‘तेजस्वी’ पत्रकार बहुगुणा की जम कर खाल खींचें। जिस वक्त बहुगुणा बोल रहे थे, जयराम रमेश ने कागज का एक पुर्जा अपनी दाहिनी ओर बैठे एक टी.वी. पत्रकार की ओर सरका दिया। पुर्जे पर लिखा था, ‘हिट हिम।’ टी.वी. पत्रकार की घिग्घी बँध गई। वह पुर्जे को अनदेखा कर सिर झुकाये हुए मुख्यमंत्री के एक-एक शब्द को पीते हुए स्टेनोग्राफर की अपनी भूमिका निभाता रहा।

रमेश की समझ में आ गया होगा कि इस प्रदेश में सीधी रीढ़ वाले पत्रकार अब नहीं बचे।

-- पौंटी चड्ढा हत्याकांड से बेदाग निकल आये सर्वशक्तिशाली प्रमुख सचिव राकेश शर्मा को कौन नहीं जानता ? वे कुछ टी.वी. पत्रकारों के साथ ‘हा-हा, ही-ही’ कर रहे थे। तभी खूब प्याज खाकर नये-नये मुल्ला बने एक पत्रकार ने उन्हें टोक दिया, ‘‘सर राहत तो कहीं पहुँच ही नहीं रही है। मोटर सड़क से चार-पाँच किमी दूर भी कोई नहीं जाना चाहता। मंत्री तो मंत्री, अधिकारी भी अब हेलीकोप्टर का ही मुँह जोहते हैं।’’ यह सुनना था कि राकेश शर्मा का पारा चढ़ गया। वे उबल पड़े, ‘‘हेलीकाॅप्टर में बैठना पाप है क्या ? हेलीकाॅप्टर और होते काहे के लिये हैं ?’’ शर्मा जी का गुस्सा देख कर टी.वी. पत्रकार घिघियाने लगे, ‘‘अरे सर, आप तो गुस्सा हो गये.....बात ऐसी जो क्या थी......आप तो इतना कर रहे हैं....

(Rajiv Lochan Sah के फेसबुक वाल से)

 

 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना