नेटवर्क 18 से 325 मीडियाकर्मियों को निकालने का मामला
इर्शादुल हक। देश की समस्याओं पर गला फाड़ कर चिल्लाने वाले पत्रकारों अब आपको अपनी औकात का पता चल गया होगा. बड़े-बड़े मंत्रियों, सेलेब्रिटीज और तीसमार खानों को औकात बताने का वहम पालने वाले मीडियाकर्मियों को समझ आ गयी होगी कि उनकी असल हैसियत क्या है.
पत्रकार कितने बेबस होते हैं अंदर से कि कोई उनकी आवाज तक नहीं उठा पाता.