Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

पत्रकारिता के इस संक्रमण काल में गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करने की जरूरत

शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि

प्रवीण बागी/ हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने अखबार प्रताप के पहले अंक में पत्रकारिता की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जो आज भी मौंजू है। इसे पत्रकारिता का घोषणा पत्र कहा जाता है।

उन्होंने लिखा था-" समस्त मानव जाति का कल्याण करना हमारा परमोद्देश्य है। हम अपने देश और समाज की सेवा का भार अपने ऊपर लेते हैं। हम अपने भाइयों और बहनों को उनके कर्तव्य और अधिकार समझाने का यथाशक्ति प्रयत्न करेंगे। राजा और प्रजा में, एक जाति और दूसरी जाति में , एक संस्था और दूसरी संस्था में बैर और विरोध, अशांति और असंतोष न होने देना हम अपना परम कर्तव्य समझेंगे।" प्रताप का पहला अंक 9 नवंबर 1913 को प्रकाशित हुआ था।

आज विद्यार्थी जी की शहादत दिवस है। कानपुर में भड़के साम्प्रदायिक दंगे को शांत करने के लिए वे गली-गली घूम रहे थे। इसी क्रम में 25 मार्च 1931 को दंगाइयों की भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी।

उनकी हत्या के बाद गांधी जी ने प्रताप के संयुक्त संपादक को तार भेजा था। तार में लिखा था-'कलेजा फट रहा है तो भी गणेश शंकर की इतनी शानदार मृत्यु के लिए शोक संदेश नहीं दूंगा। उनका परिवार शोक-संदेश का नहीं बधाई का पात्र है। इसकी मिशाल अनुकरणीय सिद्ध हो।'

पत्रकारिता के इस संक्रमण काल में गणेश शंकर विद्यार्थी जी को याद करने की जरूरत है। शहादत दिवस पर उन्हें शत-शत नमन और श्रद्धांजलि....

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना