समाज को अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति
जगमोहन फूटेला। मैं लॉ पढ़ने इलाहाबाद गया तो पहले ही दिन, पहली मिली किताब में जो पहला पन्ना पलटा तो देखा, लिखा था कि Juris ignorantia non execusta. यानि, कानून की जानकारी नहीं है तो भी माफ़ी नहीं मिलेगी.
किस्मत को कुछ ऐसा मंज़ूर था कि मैं वकील या जज बनने की बजाय लेखक और पत्रकार बनूं. वो हुआ तो देखा कि जिस की जानकारी न होने से कोई भी, कभी भी, किसी भी मुसीबत में फंस सकता है, उस कानून की जानकारी कोई देता ही नहीं है. न परिवार, न सरकार. न कोई स्कूल, न अख़बार... दुर्भाग्य इस देश का ये है कि बेसिक लॉ की जानकारी तक न होने से अदालतें मुकदमों और जेलें अपराधियों से भरतीं गईं और लोगों को आम कानून की जानकारी देने का कोई ठोस प्रयास जजों की सलाह के बावजूद नहीं हुआ. उस दिशा में एक छोटा मगर नेकनीयत प्रयास करना है. मेरा ये मानना है कि सिर्फ भांय भांय ही नहीं, मीडिया का काम समाज को अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक करना भी होना चाहिए. वो दिखाना भी, जिसे असल में दर्शक भी देखना चाहते हैं.