अन्यथा एक बार फिर हाशिये में चला जायगा दलित और पिछड़ा वर्ग
अरूण खोटे/ आरक्षण पर माहौल फिर गर्मा गया और मीडिया ने उस पर रोटी सेंकनी शुरू कर दी है। मंडल कमीशन के लागु होते समय मीडिया की एकतरफा भूमिका सभी के जेहन में आज भी ताज़ा है। जिसमे दलित वर्ग को व्यापक तौर पर निशाना बनाया गया था। सबसे ज्यादा भ्रामकता और दलितों के प्रति नफरत का माहौल बनाने में मीडिया की एकतरफा भूमिका रही थी। लेकिन अब समय बदल गया है। लेकिन मीडिया अपनी पुरानी भूमिका को फिर से दोहराने में आमादा दिखता है।
समय रहते दलित और पिछडे वर्ग के जागरूक और संवेदनशील तबके को इसकी तैयारी करके मीडिया की नकेल कसनी होगी। अन्यथा दलित और पिछड़ा वर्ग एक बार फिर हाशिये में चला जायगा जिसकी कीमत उसकी नई पीढ़ी को चुकानी होगी। लोकतान्त्रिक सीमाओ के भीतर रहकर दलित और पिछड़े वर्ग को मीडिया की भूमिका पर अपना विरोध दर्ज करने का मौका आ गया। सेमिनार और धरने से आगे जाकर ऐसे मीडिया हाउस को चिन्हित करके उसके बहिष्कार की योजना और अपील के साथ -साथ आवश्यकता पड़े को ऐसे अखबारों के कार्यालयों के सामने उनके अखबारों की प्रतियों को जलाकर भी विरोध दर्ज कराया जाना चाहिए। दलित और पिछड़े वर्ग के युवाओ को आगे आना होगा।