के पी मौर्य।भारत सरकार के डीएवीपी द्वारा 6 दिसम्बर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर दो दिन पूरे पृष्ठ का रंगीन विज्ञापन लगभग सभी दैनिक समाचार पत्रों को जारी किया, जिनमें से एक भी समाचार पत्र दलित व्यक्ति द्वारा संचालित नहीं हैं। लेकिन आज जब जनसत्ता समाचार पत्र को देखा हैरान रह गया बाबा साहेब डाॅ.अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर आयोजित मुख्य समारोह जिसमें राष्ट्रपति /प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री शामिल थे और ऐसा ही एक समारोह प्रधानमंत्री निवास पर बाबा साहेब डाॅ.अम्बेडकर स्मारक सिक्का जारी करने का भव्य समारोह, विज्ञान भवन में श्रम मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में से किसी एक को भी प्रमुखता रंगीन चित्र के साथ समाचार प्रकाशित नहीं किया। इसी प्रकार पूरे देश में मनाए गए 6 दिसम्बर के कार्यक्रमों को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। यह गैर दलित समाचार पत्रों का असली चेहरा। हम ‘दलित मीडिया’ की बात करते आ रहे, और यह भी मांग कर रहे हैं कि डीएवीपी को या तो भंग कर दिया जाए या फिर इसमें दलितों की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए और नियम आसान बनाए जाएं ताकि दलित पत्र-पत्रिकाओं को भी अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका मिल सके। लेकिन डीएवीपी न होने का बहाना बनाकर दलित समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं को किसी भी प्रकार का विज्ञापन जारी नहीं किया जाता जो दलितों की आवाज को प्रमुखता से लगातार प्रकाशित करते आ रहे हैं।
एक आर पुनः प्रधानमंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि इस विषय को गंभीरता से लें और उचित कदम उठाएं ताकि दलित पत्र-पत्रिकाओं को भी ऊपर उठने का मौका मिल सके।-
(मो. 09910770135)