मोo सोहैल / युवाओं को दीमक की तरह चाट रहा सोशल मीडिया। आजकल नौजवान सोते - जागते, उठते- बैठते हर समय सोशल मीडिया इस्तेमाल करने का आदि होते जा रहा हैं। वो रह-रह कर फेसबुक पर अपना अकाउंट देखता रहता है। टि्वटर को बिना देखे उसे चैन नहीं मिलता और इंस्टाग्राम पर अपनी पोस्ट का लाइक्स गिनते रहता हैं। इसका मतलब यह कि उसे सोशल मीडिया की लत लग गयी है और सोशल मीडिया उसके लिए बीमारी का रूप ले चुका है।
पिछले कुछ वर्षों से करोड़ों युवा सोशल मीडिया के शिकार होते जा रहे हैं। अगर वे इन्हें ना देखें तो उन्हें बेचैनी होने लगती है। अगर सोशल मीडिया यूज करते समय उनकी फोन की बैट्री ऑफ़ हो जाए तो उनका मूड भी ऑफ़ हो जाता है।
जिस तरह सोशल मीडिया हमारे जीवन में बहुत उपयोगी साबित होते जा रहा हैं तो वहीं इसका दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। जैसा कि कुछ दिनों पहले ही सोशल मीडिया पर 'ब्लू वेल' नाम से जान लेवा गेम आया था जिसे खेल कर बहुत सारे बच्चों ने आत्महत्या कर लिया था। घंटों तक फेसबुक, ट्विटर, इन्स्ताग्राम, स्नेप चैट आदि पर लगातार जुड़े रहने से युवाओं और बच्चों का दिमाग कुछ खास दिशाओं में सोच ही नहीं पाता। ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते हैं। सोशल मीडिया पर उनके बच्चे क्या कर रहे होते हैं इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जिसका उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है। सोशल मीडिया से बचाव एवं सुरक्षा के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों के क्रियाकलापों पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि भविष्य में सोशल मीडिया के लत से बचा जा सके।
मोo सोहैल कॉलेज ऑफ़ कामर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना में पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग के छात्र हैं.