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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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विदेश में भी भारत के पत्रकार चाटुकारिता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर रहे

गिरीश मालवीय। मीडिया की छवि देश में तो गोदी में बैठे मीडिया की बन ही गयी है पर अब तो विदेश में भी भारत के पत्रकार बेहयाई ओर चाटुकारिता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर रहे हैं.जना ओम मोदी कल जबरदस्ती यूएन में तैनात स्नेहा दुबे नाम की अधिकारी जिन्होंने दो दिन पहले यूएन के सम्मेलन में भारत के राइट टू रिप्लाई के अधिकार का उपयोग करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण का जवाब दिया था उनके केबिन में माइक लेकर घुस गयी. स्नेहा दुबे ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा कि वह जो कुछ बोलना थी बोल चुकी है

इससे पहले भी आजतक ने अमेरिका में जाकर जिस तरह से सड़कों पर लोगो से इंटरव्यू लिए उससे उनकी पोल पहले ही जनता के सामने खुल गयी थी.

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने भी भारत के मीडिया पर कटाक्षपूर्ण तारीफ करते हुए मोदी से कहा कि आपका मीडिया ज्यादा बेहतर बिहेव करता है , दरअसल अमेरिकी पत्रकार उस वक्त इसलिए नाराज थे क्योकि व्हाइट हाउस के कर्मचारी उन्हें  यह निर्देश देने की कोशिश कर रहे थे कि अमेरिकी पत्रकारों को कब और कहां क्या सवाल करना है. इसलिए बाइडेन ने यह बात तुलनात्मक रूप में कही थी, लेकिन भारतीय मीडिया को इसमे ही अपनी तारीफ नजर आने लगी

पिछले अमेरिकी दौरे में जब भारत के पत्रकार मोदी के सामने राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ रूबरू थे तो लगातार चाटुकारिता भरे सवाल कर रहे थे ट्रम्प ने भरी हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारो के सामने मोदी को देखा और कहा कि  ''आपके पास अच्छे रिपोर्टर्स हैं. काश कि मेरे पास भी ऐसे रिपोर्टर होते. आप किसी भी दूसरे पत्रकार से बेहतर कर रहे हैं. आप ऐसे रिपोर्टर कहां खोजते हैं'

 उस वक्त भी अमेरिकी पत्रकारों ओर राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जंग चल रही थी, अपने तीखे सवालों से मीडिया में ट्रम्प को हैरान परेशान कर दिया था.......ओर यही मीडिया का काम है, मीडिया का काम मख्खन पालिश करना नही है, मीडिया का काम है तीखे ओर चुभते हुए सवाल पूछकर जनता के सामने सच्ची तस्वीर लेकर आना लेकिन यहाँ तो प्रधानमंत्री से 'आम चूसकर खाते है कि काट कर' टाइप के सवाल पूछे जा रहे हैं

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना