Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

'रेडलाइट मीडिया' के 'डॉग एंकर' और 'गिद्ध

संतोष सारंग /तुमने तब किसानों के आंदोलन को भी साजिश बोला था। छात्रों के आंदोलन को भी देश के साथ गद्दारी करार दिया था। और आज भूख व बेबसी के मारे हजारों बेकाबू प्रवासी मजदूरों की भीड़ में भी तुम्हें साजिश की बू दिखती है सता के भूखे भेड़िये। राजनीति की लाश पर बैठनेवाले गिद्धों, भुखमरी और तुम्हारी कुनीति के शिकार  बांद्रा, सूरत, अहमदाबाद, दिल्ली की ये हजारों प्रवासी मजदूरों की व्याकुल भीड़ सिर्फ भीड़ नहीं है, यदि तुम इन्हें यूं ही कुचलते और नकारते रहोगे, तो एक दिन यही भीड़ तुम्हारी राजसी सत्ता को खाक कर देगी।

और ये जो 'रेडलाइट मीडिया' के 'डॉग एंकर' हैं, ये तो पत्रकारिता के कलंक हैं, बदनुमा दाग हैं। मजदूरों की भीड़ के मनोविज्ञान समझने और केंद्र-राज्य सरकार की नाकामी पर सवाल उठाने के बदले ये कुत्ते प्रजाति के ये एंकर चिल्ला-चिल्लाकर इनकी मुफलिसी का उपहास उड़ाते हैं और इसमें भी हिंदू-मुस्लिम एंगल निकाल कर पूरी कहानी को ही मोदी के सिर्फ शाब्दिक लड़ाई 'कोरोना से जंग' के खिलाफ साजिश करार देता है। कब तक देश की भोली-भाली जनता को गुमराह करते रहोगे चमचे एंकर। गिद्ध नेताओं से भी खतरनाक हो तुम प्रोपेगेंडा परोसने वाले चैनल। इतिहास तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा। नेताओं और डाॅग एंकर, तुम दोनों की अमानवीयता, असंवेदनहीनता तुम पर ही कुठाराघात बन कर गिरेगी, ये मत भूलना। हम यह भी जानते हैं कि पेट की भूख से अधिक सत्ता व पैसों की भूख तीक्ष्ण व मारक होती है। इसलिए इन स्वाभाविक भीड़ को तुम साजिश का हिस्सा बताते ही रहोगे, जबतक की इनकी तड़प और त्रासदी की अग्नि में तुम्हारी सत्ता न स्वाहा हो जाये। तुम जितना इनके आक्रोश को सत्ता के आदमखोर बूटों से कुचलोगे, वह उतना ही भड़केगा और एक दिन ज्वालामुखी बन कर फटेगा। याद रखना।

(संतोष सारंग के फेसबुक वाल से साभार )

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना