सारे देश में पत्रकारों की स्वतंत्र आवाज़ को ऐसे ही दबाया जा रहा हैं
पंकज चतुर्वेदी / नई दिल्ली/ गुजरात में एक समाचार पोर्टल के संपादक के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने अपने पोर्टल पर खबर चलाई थी कि भाजपा आलाकमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के स्थान पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया को मुख्यमंत्री बना सकता है.समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अहमदाबाद अपराध शाखा ने ‘फेस ऑफ नेशन’ समाचार पोर्टल के संपादक धवल पटेल के खिलाफ शुक्रवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राजद्रोह) और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. सहायक पुलिस आयुक्त बीवी गोहिल ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से पटेल को गिरफ्तार नहीं किया गया है, बल्कि हिरासत में लिया गया है और उन्हें कोरोना वायरस की जांच के लिए एसवीपी अस्पताल भेजा गया है. यहाँ जानना जरुरी है कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य (1962) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि 124 (ए) के तहत किसी के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला तभी बनता है जबकि किसी ने सरकार के ख़िलाफ़ हिंसा की हो या हिंसा के लिए उकसाया हो. लेकिन यहां स्पष्ट है कि पत्रकार धवल पटेल ने ना तो सरकार के खिलाफ हिंसा की और न ही हिंसा के लिए किसी को उकसाने का काम किया. उन्होंने तो सिर्फ एक कयासों के आधार पर पोलिटिकल न्यूज लिखी. सरकार को इस न्यूज में राजद्रोह नजर आया और उसने पत्रकार पर राजद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया.
जान लें यह मामला केवल गुजरात या धवल पटेल का ही नहीं हैं सारे देश में पत्रकारों की स्वतंत्र आवाज़ को ऐसे ही दबाया जा रहा हैं . दिल्ली में ही द इंडियन एक्सप्रेस के विशेष संवाददाता महेंद्र मनराल ने एक ख़बर लिखी थी. जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के हवाले से कहा था कि तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद के वायरल ऑडियो के साथ छेड़छाड़ हुई थी और इसे 20 से ज़्यादा ऑडियो क्लिप्स को जोड़कर बनाया गया था. इस मामले में मनराल को 10 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस जारी किया गया था. दिल्ली पुलिस ने मनराल से कहा है कि अगर वह जांच में शामिल नहीं होते हैं तो उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी.
वभूमि हिमाचल प्रदेश का. हिमाचल प्रदेश के अखबार ‘दिव्य हिमाचल’ के 38 वर्षीय रिपोर्टर ओम शर्मा के खिलाफ अब तक तीन एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. उन पर पहली एफआईआर 29 मार्च को सोलन जिले के बद्दी में प्रवासी मजदूरों के प्रदर्शन का फेसबुक लाइव करने के कारण दर्ज की गई थी.
उत्तर प्रदेश में भी उत्पीडन बढ़ रहा है . गाज़ियाबाद के खोडा में रहने वाले एक पत्रकार कल उस समय रिपोर्ट कर रहे जब उनके इलाके को पूरी तरह सील करने पर कुछ आला अफसर आये थे , चूँकि वे अपने पर थे तो हाफ पेंट पहने थे . उन्हें पुलिस अफसर ने गाली दे कर कहा, नेकर पहन कर पत्रकारिता कर रहा है , इतनी लाठी मारूंगा की भूल जाएगा पत्रकारिता.मध्य प्रदेश में भी हालात ठीक नहीं है अंडमान की घटना तो याद ही है जब एक पत्रकार को ट्विट पर सवाल पूछने पर गिरफ्तार किया गया.
पंकज चतुर्वेदी की फेसबुक वाल से साभार