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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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न्यायलय द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए

तरुण तेजपाल पर महिला पत्रकार के यौन उत्पीडऩ आरोप का मामला तूल पकड़ने लगा है। उनके 'प्रायश्चित' की बजाय उनपर दंडात्मक कार्रवाई की माँग ज़ोर पकड़ रही है....

वीरेंद्र यादव- खबर है कि तेहलका के प्रबंध निदेशक तरुण तेजपाल ने तहलका की एक युवा पत्रकार के साथ लगातार दो दिन यौन दुर्व्यवहार किया . उस पत्रकार के विरोध करने पर अब तरुण तेजपाल ने 'पश्चाताप' स्वरुप अपने इस व्यवहार के लिए माफी मांगी है और छह माह तक अपने पद से मुक्त रहने का निर्णय लिया है. तरुण तेजपाल के ही शब्दों में "I squarely take the blame for this. A bad lapse of judgment, an awful misreading of the situation have led to an unfortunate incident that rails against all we believe in and fight for," Tejpal said. .मुझे लगता है कि यह एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा किया गया गंभीर अपराध है और उनके विरुद्ध न्यायलय द्वारा दंडात्मक कारवाई की जानी चाहिए 

किरण बेदी- सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने इस मसले पर ट्वीट किया है, कि यह गलत फैसले का नतीजा है। ये गलत फैसला था या बच निकलने का भरोसा?' बेदी ने भी तेजपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। उन्‍होंने कहा है कि पुलिस को इस मामले में स्‍वत: संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए।

राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है। वहीं, वरिष्‍ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा है कि तेजपाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कई सीनियर वकीलों का भी कहना है कि पत्रिका के प्रबंधन को तेजपाल के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 

क़मर वहीद नकवी- तरुण तेजपाल पर लगे यौन शोषण के आरोपों पर क़ानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कैसे किया जा सकता है? क़ानूनी प्रक्रिया से मामले का निपटारा हो, यही सही रास्ता है.

सुधा सिंह - तहलका के स्वनामधन्य संपादक तरुण तेजपाल ने सहकर्मी महिला से किए गए यौन-उत्पीड़न के लिए स्वयं सजा तय कर ली है! इसे प्रायश्चित का नाम दिया है। लेकिन क्या यह तथाकथित प्रायश्चित महिला के शिकायत के पहले की गई? अगर नहीं तो फिर यह प्रायश्चित कैसे? क्या सहज ही प्रायश्चित का निर्णय ले लिया होगा या महिला की शिकायत में वजन होने और बचने की संभावना न देखकर यह तथाकथित प्रायश्चित का नाटक चल रहा है? दरअसल यह प्रायश्चित नहीं बल्कि अपने लिए न्यूनतम सजा की पेशकश है! अगर वह महिला कोर्ट में जाती है तो कार्ट को ही तय करना चाहिए कि सजा होगी कि नहीं और क्या होगी। दुखद है कि महिला ने केवल अपने मैनेजिंग एडिटर को ही लिखा है। यह भी खुलासा होना चाहिए कि क्या तहलका में ऐसा कोई वीमेन्स सेल है या नहीं जहाँ इस तरह की घटनाओं की शिकायत होती है?

---- जैसी कि खबर है ‘तहलका’ पत्रिका के संपादक तरुण तेजपाल पर महिला पत्रकार के यौन उत्पीडऩ आरोप को उन्होंने स्वीकार कर लिया है और मेल भेजकर घटना के लिए माफी मांगी है। साथ ही छह महीने के लिए तहलका के संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है। बताया जाता है कि तेजपाल इस महिला के पिता के सहकर्मी रह चुके हैं। पीडि़त तेजपाल की बेटी की सहेली भी है।  

मामले का खुलासा बुधवार देर रात हुआ। घटना 8 से 10 नवंबर के बीच गोवा में हुई। उस वक्त वहां तहलका का ही कार्यक्रम ‘थिंक’ चल रहा था। तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी को लिखे पत्र में तेजपाल ने कहा- ‘बीते कुछ दिन बेहद मुश्किल रहे हैं। मैं इसका पूरा दोष खुद पर लेता हूं। गलत निर्णय और स्थिति को गलत तरीके से समझने की वजह से यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। यह उसके खिलाफ है, जिसके लिए हम लड़ते रहे हैं। मैं संबंधित पत्रकार से दुर्ब्‍यवहार के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं। मैं इसका प्रायश्चित भी करना चाहता हूं।’

 

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सम्पादक

डॉ. लीना