कल राजधानी पटना में बिहार प्रेस फ्रीडम मूवमेंट का होगा मार्च
पटना। बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों ने भारतीय प्रेस परिषद की जांच रिपोर्ट का स्वागत करते हुए बिहार सरकार को आड़े हाथों लेते हुए प्रेस परिषद की अनुशंसाओं को लागू करने की मांग की है। राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि घोटालों और विरोधियों की आवाज को दबाने के लिए बिहार में नीतीश सरकार की अघोषित सेंसरशीप लगी हुई है। श्री यादव ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है लेकिन इन खबरों को प्रमुखता नहीं दी जा रही है। भारतीय प्रेस काउंसिल ने इस बात का खुलासा किया है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रभारी गुलचैन सिंह चारक ने कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से कहती आ रही थी कि प्रेस के साथ बिहार सरकार का व्यवहार ठीक नहीं है। इस संबंध में परिषद से भी अपील की गयी थी। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चैधरी महबूब अली कैसर ने प्रेस परिषद की रिर्पोट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञापन देने वाली इकाई एक स्वतंत्र इकाई होनी चाहिए ताकि किसी के साथ नाइंसाफी नहीं हो सके और मीडिया पूरे सम्मान के साथ काम कर सके।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम विलास पासवान ने भी प्रेस परिषद की रिपोर्ट पर बिहार सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि आपातकाल में मीडिया पर जो सेंसरशीप लगी थी, बिहार में अभी उससे भी खराब हालात है।
बिहार नव निर्माण के संयोजक और सांसद उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि प्रेस परिषद से साबित हो गया है कि प्रदेश सरकार लोकतंत्र की भावना के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है। इसबीच बिहार प्रेस फ्रीडम मूवमेंट के संयोजक इरसादुल हक ने कहा कि जांच रिपोर्ट से खुलासा हो गया है कि बिहार में पत्रकारिता पर सरकार की ओर से अंकुश लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ कल राजधानी पटना में मार्च का आयोजन किया गया है।