Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विनिवेश, मार्फत देशी मीडिया का अंत सामने

पलाश विश्वास / मीडिया के अच्छे दिन बहुत पहले से शुरु है। पेड न्यूज से रातोंरात मालामाल हो रहे हैं मीडिया मालिक। जिनका अपना प्रेस नहीं है, पेरोल नहीं है, भूतहा प्रकाशन है। वे भी मालामाल ही नहीं हो रहे हैं, बल्कि अब मीडिया आइकन बन गये हैं। जनपदों के समाचारपत्रों और चैनलों पर धनवर्षा का आलम उत्तराखंड में केदार त्रासदी की लीपापोती में देखा जा चुका है तो नमोसुनामी सृजन का वारा न्यारा अलग गौरवगाथा है।

इसी के मध्य शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विनिवेश मार्फत देशी मीडिया का अंत सामने है। मीडिया कर्मी अपना वजूद बचाने की भी हालत में नहीं है। मीडिया के जनविकल्प के बारे में नई सोच के अलावा कोई राह नजर नहीं आ रही है।

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के केसरिया सलवाजुड़ुम एकाधिकार क्षेत्र में मोबाइल मीडिया के स्वरुप के बारे में अभी धुंआसा काफी है। फंडिंग के बारे में भी स्थिति बहुत साफ नहीं है। हमने वैकल्पिक मीडिया के साथियों से इस सिलसिले में बात की है। वे वहां क्या और कैसे कर रहे हैं, इस विवाद में न जाकर इस तकनीक का कैसे इस्तेमाल किया जा सकें जनपक्षधर मोर्चे के हक में और जल्द से जल्द पोलावरम जैसे मुद्दे को लेकर आदिवासी भूगोल और बाकी अस्पृश्य भारतखंड को जोड़ते हुए सर्वस्वहाराओं का एकताबद्ध राष्ट्रीय जनांदोलन की दिशा बनायी जा सकें और लाल नील अतर्विरोध के समाधान जरिये बहुसंख्यभारतीयों को गोलबंद किया जा सकें,इस पर हमें सोचना ही होगा।

सूचना क्रांति ने जनता को सूचनाओं से ब्लैक आउट कर दिया है और सारी चकाचौंध बाजार को लेकर है। अंधेरा का कोई कोना भी रोशन नहीं हो रहा है।

नवउदार भारत में तकनीक और प्रसार के लिहाज से मुख्यधारा के मीडिया का विकास हैरतअंगेज है।जबकि मीडिया में जनोसरकार और जनमत की क्या कहें, श्रमकानून और आंतरिक स्वायत्तता और लेकतंत्र सिरे से लापता है। अगर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें कमी के बावजूद प्रिंट मीडिया उद्योग ने जोरदार वापसी दर्ज की है। आईआईपी के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में समाचार पत्र उत्पादन में 56.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि कुल औद्योगिक वृद्धि एक साल पूर्व की इसी अवधि के 5.3 फीसदी की तुलना में महज 0.1 फीसदी रही। प्रकाशन, प्रिंटिंग और पुनरुत्पादन सहित समूचे मीडिया क्षेत्र की वृद्धि शानदार 52.7 फीसदी रही। वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान 10.78 फीसदी भार वाले इस खंड की वृद्धि 29.6 फीसदी रही। आईआईपी में 0.2 फीसदी हिस्सेदारी वाले मोबाइल हैंडसेट और अन्य टेलीफोन उपकरणों के उत्पादन में अप्रैल में 30 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना