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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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सत्ता के खिलाफ लिखकर उत्तर बंगाल का पत्रकार लापता

पलाश विश्वास/  सत्ता का रोष प्रचंड है। पत्रकारिता का राफ्ता गाहे बगाहे सत्ता से होता है और दुनियाभर में नतीजा बराबर है। पत्रकार उत्पीड़न और पत्रकारों पर जुल्मोसितम भारत में भी मजहबी सत्ता का बाजारु दस्तूर बन गया है।

ताजा खबर उत्तर बंगाल से सत्ता के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले एक दैनिक अखबार से जुड़े श्रमजीवी पत्रकार के लापता हो जाने का है, जो बेहद फिक्र की बात है और फिक्र करने की फितरत है। बहरहाल राजनीति मुखर है।नगाड़े खामोश है और कटवाने की तैयारी है। कानून बन रहे हैं और सूअरबाड़े में असली सूअर कोई नहीं है।

संसदीय सहमति का रास्ता खुल गया है। निलंबन के बहाने बहिष्कार है और गिलोटिन तैयार है।

कल आनंद तेलतुंबड़े से बात हो रही थी कि मर्दानगी अब राकेट कैप्शुल, जापानी तेल और हनुमन यंत्र के भरोसे है तो निजता कटवाने के बाद मेल फीमेल कुछ नहीं बचेंगे और सारे के सारे शीमेल नजर आयेंगे। वह इंतजाम भी पुख्ता है इस तरह, जिस तरह आधारबायोमैट्रिक है।

सारे बिल खामोशी से पास होने है। न मइन्यूट होगा और न रिपोर्टिंग होगी। न बहस होगी।स्पीकर के टेबिल पर बिल होगा और गिलोटिन होगा,फिर लागू होजायेगा जरुरी सेवाओं से नत्थी होकर जैसा आधार निराधार है।  

सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी होगा। आदेश भी होगा। दिलों में आवाजाही होगी, पर कोई नहीं दिलदार होगा। सारे मसले रब के हवाले हैं। हम तमाशबीन है।

फिलहाल पत्रकार की गुमशुदगी का मामला सीआईडी के हवाले है। बाकी मीडिया में फिर वही सन्नाटा है। जो जो बुलंग आवाज में मजीठिया और अपने हकहकूक के लिए बोल नहीं सकते, उनसे किसी अनाम साथी के हक में खड़ा होने की क्या फिर उम्मीद कीजिये!

सविता बाबू से आज किसी ने फोन पर हालचाल पूछा तो कह दिया कि कट रहा है लेकिन खून नहीं है। जो दरअसल हाले सूरत है।

यह आम किस्सा हो गया है कि मीडिया की सेहत पर अपने लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने का रिवाज नहीं है और न अपने लोगों के साथ खड़ा होने की कोई तहजीब है।

बहरहाल, खबरों के मुताबिक अलीपुरद्वार जिले में एक बांग्ला दैनिक का एक पत्रकार कल से अपने घर से लापता है। इस घटना से पहले उसने कॉलेज में दाखिले में रिश्वतखोरी पर एक खबर लिखने पर आठ लोगों से धमकी मिलने की शिकायत की थी और आठों लोग गिरफ्तार किए गए थे। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने आज बताया कि उत्तरबांगा संगबाद के रिपोर्टर चयन सरकार को ढूंढने के लिए तलाशी अभियान चलाया गया है। वह कल रात नौ बजे अपने घर के समीप से लापता हो गए।

उन्होंने बताया कि सरकार की नोटबुक, स्कूटर और पर्स उसी जगह मिले हैं । उन्होंने अलीपुरद्वार एवं जलपाईगुड़ी जिलों के प्रदर्शनकारी पत्रकारों को आश्वासन दिया कि सरकार को ढूंढने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी प्रेस क्लब के सदस्यों ने आरोप लगाया कि अलीपुरद्वार जिले के एक कॉलेज में दाखिले के गोरखधंधे में शामिल लोगों ने सरकार का अपहरण किया है। उत्तर बंगाल में सबसे अधिक प्रसार वाले इस अखबार में खोजी रिपोर्ट फाईल करने के बाद वह इन लोगों के निशाने पर आ गए थे। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि कैसे दाखिले के लिए उम्मीदवारों एवं अभिभावकों से बड़ी धनराशि वसूली जाती है।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि 28 जुलाई को इस खबर के प्रकाशन के बाद सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है और उन्होंने इस सिलसिले में आठ लोगों के नाम लिए थे जिन्हें कल गिरफ्तार किया गया।​

 

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सम्पादक

डॉ. लीना