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कौन है नंबर एक ?

बिहार में दैनिक जागरण सबसे आगे होने का दावा कर रहा है तो हिन्दुस्तान खुद के आगे होने की सफाई में तर्क दे रहा है

इर्शादुल हक / 19 जनवरी को दैनिक भास्कर के पटना में लांच होने के बाद, बाकी दो बड़े अखबारों ने प्रथम पृष्ठ पर खुद को सबसे आगे होने का विज्ञापन जारी किया है. यह अखबार हैं हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण.

दैनिक जागरण ने अपने विज्ञापन में कहा है- “हमने छुआ एक नया आसमाँ, धन्यवाद पटना दैनिक जागरण को नम्बर 1 अखबार बनाने के लिए”.

वहीं हिन्दुस्तान ने लिखा है- ‘पटना और बिहार का नम्बर 1 अखबार, पटना में 9 लाख और बिहार में 1.5 करोड़ पाठक’.

अब सवाल यह है कि इन दोनों अखबारों में किसका दावा सच और किसका दावा झूठा है? यह तो तय है कि इन दोनों में से कोई न कोई झूठ तो बोल ही रहा है. क्योंकि अव्वल तो कोई एक ही हो सकता है.

अपने सच को साबित करने के लिए हिन्दुस्तान ने पेज नम्बर 3 पर( पेज 1 पर विज्ञापन होने के कारण पेज 3 ही पेज 1 माना जाता है) एक विश्लेषणात्मक सफाई दी है.

इस सफाई के लिए जिन शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल किया गया है, वे हिन्दुस्तान के खुन्नस की ओर इशारा करते हैं. अखबार ने बॉटम पेज पर लिखे अपनी स्टोरी से ही उसकी सफाई और आत्मरक्षा की झलक मिलती है. इसका शीर्षक हृ- “सांच को आंच नहीं, हिन्दुस्तान ही है नम्बर 1”.

अखबार ने आईआरएस और ओबीसी जैसी संस्थाओं के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए लिखा है कि इन दोनों संस्थाओं के सर्वे के अनुसार हिन्दुस्तान पूरे बिहार में भी और पटना में भी अव्वल है.

हिन्दुस्तान का ब्लंडर

पर हिन्दुस्तान ने आंकड़ों का एक भयानक ब्लंडर कर दिया है. पेज 1 के विज्ञापन में उसने दावा किया है कि उसके पटना में 9 लाख पाठक हैं जबकि अपने विश्लेषणातम्क व सफाईनुमा खबर में हिन्दुस्तान ने कहा है कि पटना में उसके पाठकों की अवसत संख्या 4.08 लाख है.

सीधा सा पाठकों का सवाल है कि वे हिन्दुस्तान के किस दावे को सच माने- खुद उसके विज्ञापनी दावे को या उसकी खबर के तथ्य को.
हां इतना जरूर है कि हिन्दुस्तान ने ओबीसी और आईआरएस के हवाले से दैनिक जागरण की पटना में पाठक संख्या 3.2 लाख है.

जागरण का हवाई दावा

इधर दैनिक जागरण ने पटना की मुख्य सड़कों पर ढोल नगाड़ों के साथ निकाली गयी अपनी धन्यवाद रैली को न्यूज बनाते हुए लिखा है कि ‘दैनिक जागरण ने मार लिया मैदान’. अखबार ने दावा किया है कि जागरण पटना का नम्बर एक अखभार बन गया है. पर अखबार ने अपने दावे को सच साबित करने के लिए कोई प्रमाण न देकर अपने जोश को ही अपने दावे का आधार बनाया है.

पर सवाल यह है कि इन दोनों अखबारों के दावे और सफाई की सच्चाई के समर्थन में क्या सुबूत है. एक तरफ हिन्दुस्तान अपने नम्बर एक होने का जो सुबूत दे रहा है उसमें दो तथ्य हैं- विज्ञापन में उसने कुछ कहा है तो अपनी खबर में कुछ. वहीं दूसरी तरफ दैनिक जागरण ने खुद को नम्बर एक होने का जोशीली खबर तो छापी है पर नम्बर एक होने का कोई प्रमाण न देकर हवाई दावा कर डाला है.

जहां तक दैनिक भास्कर की बात है तो इंतजार कीजिए अगले कुछ ही दिनों में यह अखबार भी दावा करने वाला है कि “पटना में आते ही छा गया भास्कर, बना नम्बर वन”.

इर्शादुल हक नौकरशाही डॉट इन के सम्पादक हैं 

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सम्पादक

डॉ. लीना