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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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अभिव्यक्ति के तीन दिवसीय महाकुम्भ की शुरुआत

लखनऊ/ पाचवें दैनिक जागरण संवादी का  शुभारम्भ आज लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में  मशहूर फिल्मकार मुजफ्फर अली, प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह  एवं जागरण प्रकाशन लिमटेड के निदेशक सुनील गुप्त  द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। तीन दिन तक चलने वाले इस अभिव्यक्ति के उत्सव में साहित्य के अलावा  राजनीति, संगीत, खान-पान, न्यूजरूम ड्रामा, धर्म, देश-भक्ति, पर्यावरण इत्यादि के साथ #मीटू जैसे अहम् मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा होगी।

जागरण प्रकाशन लिमटेड के निदेशक सुनील गुप्त ने उद्घाटन अवसर पर कहा ‘देश में  हर वर्ष सेकड़ों साहित्य उत्सव होते है और अगर संवादी  उनमें से कुछ अलग और कुछ खास है तो  अपने कंटेंट अपने प्रस्तुति  के कारण  है। आज  से तीन दिन आप विभिन क्षेत्रों  के बड़े नामों  को अपने बीच पायेंगे वें अपनी बात कहेंगे आप भी उनसे सवाल पूछेंगे’।

पहले दिन के पहले सत्र  के विषय ‘लखनऊ मेरा लखनऊ ‘ पर फिल्मकार मुजफ्फर अली ,रंगकर्मी विलायत जाफरी  से आत्मप्रकाश मिश्र ने बातचीत की। मुजफ्फर अली ने कहा  लखनऊ एक दर्द भी और एक तकलीफ भी अगर आपमें तकलीफ नहीं तो आप लखनऊ के नहीं....लखनऊ हम और आप हैं। कल का लखनऊ कैसा होगा ऐसा होना भी हम और आप ही तय कर सकते हैं। गंगा जमुनी तहजीब हिन्दुस्तान की आत्मा है जिसे हमें बचा के चलना है।

रंगकर्मी विलायत जाफरी ने कहा  ‘ लखनऊ वो शहर है जहाँ हनुमान का मंदिर एक मुसलमान बनाता है तो  एक इमामबाडा, हिन्दू और यह तहजीब हमें अपने पूर्वजों से मिली है, इस गंगा जमुनी तहजीब को मिटाना इतना आसान नही  होगा ,इस तहजीब को बचाने में हमें परेशानी नही होगी क्योंकि यह संस्कार हमारे रूह में हैं। सत्र का संचालन कर रहे से आत्मप्रकाश मिश्र ने कहा ‘लखनऊ तहजीब का शहर है ,गंगा जमुनी सभ्यता का शहर ही लखनऊ है।

आज के दुसरे सत्र ‘संस्कार और संस्कृति ‘ पर  सोनल मानसिंह से  आशुतोष शुक्ल द्वारा भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों पर सवांद किया। सोनल मानसिंह ने कहा ‘ परम्परा ही संस्कृति है परम्पराएं ही संस्कृति को बनाती हैं ,अंग्रेजीकरण के कारण आज हमें अपने ही संस्कृति को समझने में दिक्कत होती है। आप पच्छिम के संस्कृति का अनुसरण कीजिये मगर साथ ही अपने संस्कृति और संस्कार का भी अनुसरण कीजिये। अगर हम अपनी संस्कृति का सम्मान नही कर सकते तो कैसे हम दुसरे से अपने संस्कृति की सम्मान की आशा कर सकते हैं।

आप लड़ते क्यों हैं ?  सत्र  में पार्टी प्रवक्ताओं, बीजेपी से शाजिया इल्मी, सपा से  अनुराग भदौरिया और कांग्रेस से द्विजेन्द्र पटेल  ने टी.वी. डिबेट  पर इनके वाकयुद्ध और  बहसबाजी के मायने का सच , सिर्फ टीआरपी है या फिर  कोई सार्थक संवाद  पर  अनंत विजय ने बातचीत की।

शाजिया इल्मी ने कहा ‘ टीवी डिबेट में प्रवक्ताओं का चीखना चिलाने का ट्रेंड पहले से ही चला आ रहा है।अन्ना हजारे आन्दोलन और उससे पहले से ही टीवी न्यूज़ चेनलों पर जारी हैं और यह आज टीवी चेनलों के लिए टीआरपी बटोरने  का एक अहम जरिया बन गया है और यह बिक भी रहा है’।

 द्विजेन्द्र पटेल ने कहा ‘ टीवी डिबेट में जवाबदेही सिर्फ पार्टी प्रवक्ताओं की ही नही  टीवी एंकर की भी होती है ,एंकर की हमेशा ही डिबेट में माहौल मनाने में अहम भूमिका होती है .

अनुराग भदौरिया ने अपने मत रखते हुए कहा कि जब टीवी एंकर किसी सत्ता पक्ष के प्रवक्ता को ही ज्यादा अहमियत देता है तो विपक्ष के प्रवक्ता अपनी बात और मत रखने के लिए चीखने चिलाने लगते हैं। अतः टीवी एंकर का भी दायित्व होता है कि वह सभी उपस्थित प्रवक्ताओं को बोलने और अपनी बात रखने का पूरा पूरा  मौका दे।’

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सम्पादक

डॉ. लीना