26 अक्टूबर को 124 वीं जयंती
संतोष गंगेले/ गणेश शंकरविद्यार्थी प्रेस क्लब का संकल्प है कि मध्य प्रदेश के प्रत्येक थाना /तहसील/जिला/ संभाग तक इस संस्था के सदस्य नियुक्त कर गणेश शंकर विद्यार्थी जी के जीवन व उनके कमयोगी होने की बात जन जन तक पहुंचाने की। वर्तमान समय में पत्रकारिता के दायित्व से पीछे हठ रहे पत्रकारों को उनकी जीवन व मार्गदर्शन से कर्मठ एवं लग्नशील पत्रकार बनाने का प्रयास जारी है।
भारत की आजादी के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने बाले भारतीय पत्रकारिता के पुरौधा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म आश्विन शुक्ल चतुर्दशी संवत् 1947 दिनांक 26 अक्टूबर 1890 को श्रीमती गोमती देवी श्रीवास्तव की कोख से हुआ। इनके पिता का नाम बाबू जय नारायण लाल थे।
गणेश शंकर विद्यार्थी जी एक विवेकी, आदर्शवादी व कुशल राजनीतिज्ञ थे। साथ ही वे एक निडर व देशभक्त पत्रकार भी थे । उन्होने अपने ओजस्वी विचारों को अपने समाचार पत्र (प्रताप ) के जरिए जनता तक पहुचाया। दलबदी और धार्मिक पक्षपात से दूर रहते हुए उन्होने स्वतंत्रता आंदोलन की एक ऐसी पृष्ठभूमि तैयार की जिससे ब्रिटिश सरकार की नींव तक हिल गई। उन्होने हिन्दु मुस्लिम एकता के लिए कई बार जान जोखिम में डाला।
गणेश शंकर विद्यार्थी जी शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी करने लगे। उन्होने नौकरी छोड़ राजनैतिक दलों के साथ कार्य किया। गणेश शंकर विद्यार्थी जी को अपने मित्र पंडित सुन्दर लाल के सम्पर्क में आने के बाद पत्रकारिता से मोह हो गया और उन्होने क्रातिकारी महर्षि अरविन्द घोष से प्रभावित होकर एक पत्र कर्मयोगी समाचार पत्र को अपने लेख लिखने लगे। यही से उन्होने पत्रकारिता की शुरूआत की। इसके बाद अनेक समाचार पत्रों से जुड़ते चले गये। वे आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के सरस्वती समाचार पत्र में संपादन के साथ कई सालों तक वह पत्रकारिता के साथ जुड़े रहे । उन्होने तय किया कि वह देश की स्वाधीनता के लिए स्वयं अपना समाचार पत्र प्रकाशित कर कार्य करेगें । उन्होने अभ्युदय समाचार पत्र से कार्य छोड़कर पंडित शिवनारायण मिश्र के साथ बिचार विमर्श करने के बाद स्वंय का समाचार पत्र प्रकाशन करने का तय किया । विधिक कार्यावाही करने के वाद 9 नवम्बर 1913 को प्रताप समाचार पत्र का उदय हुआ। पत्र के प्रकाशन में सैकड़ों कठिनाइयों का अनुभव किया, लेकिन समाचार पत्र प्रकाशित करने का संकल्प छोड़ा नही। धीरे धीरे स्वयं का प्रेस लगाया, साईकिल से समाचार पत्र का वितरण करना एवं करवाना था। देश व समाज के लिए समाचार प्रकाशित करने का हौसला बुलंद किया। अंग्रेजी हुकुमत के सामने झुके नही जिस कारण कई बार प्रताप समाचार पत्र को बंद किया गया तथा गणेश शंकर विद्यार्थी जी को जेल भेजा गया । साप्ताहिक समाचार पत्र प्रताप ने गुलाम भारत के आम नागरिकों को जगाने के लिए आग में घी का कार्य किया। इसके बाद प्रेस के संसाधन एकत्रित कर लेने के बाद गणेश शंकर विद्यार्थी जी इस समाचार पत्र को 23 नवम्बर 1920 से दैनिक कर दिया। प्रताप समाचार पत्र के जरिये अपनी बात जनता तक पहुचाने में प्रताप समाचार पत्र का महत्व पूर्ण योगदान रहा। प्रताप समाचार पत्र ने अंग्रेजी की नींव का हिलाकर रख दिया। समाचार संपादक ने अनेक कठिनाईयों एवं मुकदमावाजी से संघर्ष किया, जेल यात्रायें की लेकिन समाचार पत्र का प्रकाशन बंद नही किया ।
23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी सरकार ने सरदार भगत सिंह को फांसी दी जिससे जनता बौखला गई तथा सरकार के खिलाफ नारेबाजी, दंगों में बदल गई। कानपुर में भी दंगे शांत करने का पूरा प्रयास हुआ। 25 मार्च 1931 को अपने साथी राम रतन गुप्त जी चैवे गोला मोहल्ला से होते हुए मठिया पहुचे जहां कुछ देश द्रोही लोगों ने घेर कर गणेश शंकर विद्यार्थी जी की हत्या कर दी।
गणेश शंकर विद्यार्थी के विचारों से प्रभावित होकर हरिहर भवन नौगाव (बुन्देलखण्ड) में उनके नाम से एक पत्रकारों का संगठन 1 जनवरी 2013 को गठित किया गया जिसका नाम गणेश शंकरविद्यार्थी प्रेस क्लब दिया गया । इस गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था का प्रधान कार्यालय हरिहर भवन तहसील के पास नौगाव जिला छतरपुर मध्य प्रदेश रखा गया तथा इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्य प्रदेश बनाया गया है। गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष -संतोष गंगेले ने अपनी प्रान्तीय समति में सात लोगों को शामिल किया गया जिसमें राजेन्द्र गंगेले प्रान्तीय उपाध्यक्ष, कमलेश जाटव सचिव, राजेष शिवहरे संयुक्त सचिव, लेाकेन्द्र मिश्रा एवं भगवान दास कुशवाहा को प्रान्तीय सदस्य बनाया गया है।
शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी हिन्दी पत्रकारिता के पुरौधा, देश के सुधारवादी नेता, स्वधीनता आन्दोलन के कर्मठ सिपाही रहे । उनकी जयन्ती पर प्रेस क्लब उन्हे याद करते हुये उनके पदचिन्हो पर चलने का प्रयास जारी रहेगा।