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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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जनमानस पर असर डालने वाले साहित्य का हो निर्माण : सुधीश पचौरी

जागरण की  मुहीम ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत आयोजित जागरण वार्तालाप कार्यक्रम

पटना/ पटना पुस्तक मेले में दैनिक जागरण की  मुहीम ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत आयोजित जागरण वार्तालाप कार्यक्रम के दौरान ' लोकप्रिय बनाम गंभीर साहित्य'विषय पर प्रसिद्ध लेखक व दिल्ली विश्वविद्यालय  के पूर्व कुलपति प्रो. सुधीश पचौरी मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे। अनीश अंकुर ने पचौरी से विषय पर कई सवाल-जवाब किए। विषय पर प्रकाश डालते हुए पचौरी ने कहा कि समय के साथ हर साहित्य की लोकप्रियता बढ़ जाती है। साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में ऐसा साहित्य का निर्माण हो जो जनमानस पर असर डाले ने कि चंद मुठ्ठी पर लोगों पर। पचौरी ने कहा कि समय बदल रहा है ऐसे में लेखकों को पाठकों के मनोरंजन के लिए कुछ लिखना होगा। क्योंकि पाठकों के पास मनोरंजन करने के लिए बहुत से साधन हैं। ऐसे में पाठक लेखक की रचनाओं को क्यों पढ़ें?।

साहित्य की लोकप्रियता पर पचौरी ने भक्ति काल के कवियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्ति भी कॉमेडी का फुल पैकेज है। तभी तो रामायण, महाभारत जैसे सीरियल पड़ोसी मुल्क में खूब देखे गए। गंभीर साहित्य पर पचौरी ने कहा कि तुलसीदास ने कई रचनाएं कीं लेकिन उनका अंतिम क्षण कितना दर्द भरा रहा। काल मा‌र्क्स ने भी कहा था कि धर्म हृदयहीन संसार का चित्त है। कालजयी रचनाकारों में नागार्जुन, रेणु,  दिनकर पर कहा कि वो भी काफी प्रसिद्ध हुए क्योंकि उनकी रचनाओं में जनता का दर्द था। इंदिरा गांधी के बारे में नागार्जुन ने कई कविताएं लिखी लेकिन उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। पचौरी ने कहा कि 80 करोड़ की ¨हिंदी  भाषी जनता है। जिसमें दुनिया के सारे कवि दिल्ली में रहते हैं। ऐसे में आप देखे उसके आधार पर कितनी रचनाएं लिखी जा रही है। लेखक का संकलन छपता नहीं इससे पहले पुरस्कार मिल जाता है। लोकप्रिय होना है तो रचनाओं को पाठकों का कठंहार बनाएं।

परिचर्चा के दौरान लेखक व पत्रकार अनंत विजय, कवयित्री निवेदिता झा, सीआइएसएफ के आईजी आइसी पांडेय, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, लेखक रत्‍‌नेश्वर आदि मौजूद थे।

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सम्पादक

डॉ. लीना