स्मृति में साहित्य-ब्लॉग और साहित्य-पोर्टल की महाकवि के हाथों हुई शुरुआत
लखनऊ/ महाकवि पद्म विभूषण गोपाल दास नीरज ने बृहस्पतिवार 01 सितंबर 2016 को प्रख्यात साहित्यकार, कवि, रेखा-चित्रकार डॉ. उषा रानी सिंह की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर कहा कि डॉ. उषा रानी सिंह की कविताएं नये बिम्बों और नये उपमानों की सजावट से शब्द विधान के कलात्म-रूप को नये धरातल पर प्रतिष्ठित करती हैं. उनकी कविताएं बहुत भीतर तक स्पर्श करती हैं. उनके द्वारा रचित रेखा-चित्र हमें गांव की पगडंडियों पर ले जाते हैं, मौलिक संयुक्त परिवारों की सोंधी खुशबू देते हैं, समाज की समरसता का संदेश देते हैं. महाकवि नीरज ने प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, समालोचक और कबीर साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. सीताराम दीन की रचनाओं को धरोहर बताया और कहा कि डॉ. दीन में संत कबीर की आत्मा विराजमान थी. इसीलिए उनके व्यक्तित्व में एक समालोचक का भी वास था और एक संवेदनशील कवि भी विराजमान था. डॉ. दीन की पुण्यतिथि एक अक्टूबर है. इसे दृष्टिगत रखते हुए डॉ. सीताराम दीन और डॉ. उषा रानी सिंह की साझा पुण्यस्मृति में लखनऊ में आयोजित एक सादे कार्यक्रम में महाकवि नीरज ने दोनों दिवंगत साहित्य विभूतियों के नाम पर शुरू हो रहे साहित्य-ब्लॉग tributesitaramdeenusharanisingh.blogspot.com और साहित्य-पोर्टल को अपने पावन स्पर्श से ‘ऑन-लाइन’ किया. पद्मश्री नीरज ने बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की त्रैमासिक पत्रिका ‘सम्मेलन साहित्य’ के ‘स्मृति विशेषांक’ का भी अवलोकन किया, जो विशेष तौर पर डॉ. सीताराम दीन और डॉ. उषा रानी सिंह की स्मृति में समर्पित किया गया है. ‘स्मृति विशेषांक’ में महाकवि नीरज की वह चिट्ठी भी प्रकाशित की गई है जो उन्होंने डॉ. उषा रानी सिंह को उनके दिवंगत होने के कुछ ही दिन पहले लिखी थी. डॉ. सीताराम दीन और डॉ. उषा रानी सिंह की संघर्ष गाथा के बारे पढ़ कर और जानकर महाकवि नीरज ने कहा, ‘लेखनी अश्रु की स्याही में डुबो कर लिखो, दर्द को प्यार से सिरहाने बिठा कर लिखो, जिंदगी कमरों और किताबों में नहीं मिलती, धूप में जाओ और पसीने बहा कर लिखो’... नीरज कहते हैं तभी किसी का लिखा सार्थक होता है और हृदय को ग्राह्य होता है. तभी आज हम डॉ. सीताराम दीन और डॉ. उषा रानी सिंह को याद कर रहे हैं और उनकी रचनाओं पर चर्चा कर रहे हैं.
डॉ. सीताराम दीन और डॉ. उषा रानी सिंह की पुण्यस्मृति में शुरू किए जा रहे साहित्य-ब्लॉग और साहित्य-पोर्टल में बिहारी हिंदी साहित्य सम्मेलन के ‘स्मृति विशेषांक’ को समग्र रूप से ‘अपलोड’ किया जा रहा है. इसमें मूर्धन्य साहित्यकारों के लेख समाहित हैं. साहित्य के लिए समर्पित इन दोनों ऑनलाइन मंचों पर देशभर के साहित्यकारों की रचनाओं को शामिल किया जाएगा और उसे प्रसारित-प्रचारित किया जाएगा, ताकि उन साहित्यिक रचनाओं की पठनीयता भौतिक-भौगोलिक सीमाओं के अंदर घुट कर दम न तोड़ सके, बल्कि उसे बृहत्तर फैलाव मिले. इस पर महाकवि नीरज ने उनके रचना-जीवन पर तैयार किया गया एक ऑडियो एलबम भी भेंट किया, जिसमें प्रख्यात रेडियो एंकर अमीन सायानी की कमेंटरी है और नीरज के लिखे प्रसिद्ध गीतों को उसमें पिरोया गया है, जिसे मशहूर गायक मुहम्मद रफी, मुकेश व अन्य कलाकारों ने गाया है. नीरज की रचनाओं पर आधारित उस ऑडियो एलबम को भी साहित्य-ब्लॉग और साहित्य-पोर्टल में शामिल किया जाएगा. दीन-उषा पुण्यस्मृति कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार सुशील शुक्ला, आलोक पांडेय, मनोज दुबे, अखिल पांडेय, रवि गुप्ता, आलोक मिश्र, रोहित पांडेय, अंकित गोयल, अखिलेश मिश्र, राम सिंह, महेंद्र अग्रवाल, एके गोयल, शैलेश सिंह, नंदलाल जायसवाल, कुमार विक्रम, शैलेश कुमार सिंह, डॉ. आराधना सिंह, वैष्णवी वंदना, धीरेंद्र मौर्य, विनय गुप्ता समेत कई पत्रकार और गण्यमान्य नागरिक मौजूद थे.