उनका जीवन और कार्य भाषा या राज्य की सीमाओं से परे थे : राष्ट्रपति
नई दिल्ली/ दिवंगत कार्टूनिस्ट पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि देने के लिए आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक कार्टूनिस्ट का कार्य एक उपकरण के रूप में हास्य का उपयोग करते हुए महत्वपूर्ण सामाजिक संदेशों को लोगों तक पहुंचाना है। हास-परिहास लोगों के साथ-साथ राजनीतिज्ञों के लिए भी तनाव दूर करने का उपाय है। कार्टून लोगों को यह बताता है कि शासक भी उन्हीं की तरह आम मानव और उनमें भी क्षमा योग्य दोष हो सकते हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वे अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में श्री कुट्टी के बनाए कार्टून के निशाने पर रहे, खासतौर पर बांग्ला समाचार पत्रों ‘‘आनंद बाजार पत्रिका’’ और ‘‘आजकल’’ में श्री कुट्टी के कार्य के दौरान। राष्ट्रपति ने कहा कि कुट्टी जैसे कार्टूनिस्टों की तेज-तर्रार प्रतिक्रिया में नए तरह का हास्य बोध होता था। श्री कुट्टी और उनके गुरू शंकर ने इसी संस्कृति को कार्टूनिस्टों की आगे आने वाली पीढि़यों में बढ़ाया। राष्ट्रपति ने कहा कि कार्टून हमारे पास ब्रिटिश परम्परा के तौर पर आया। 1980 के उत्तरार्द्ध तक किसी नेता की पहचान उसके फोटो से ज्यादा उसके कैरिकेचर से होती थी। यहां तक कि पुराने नेता अपने बारे में बनाए गए इन हास्य चित्रों का संग्रह कर उन्हें अपने कार्यस्थल पर प्रदर्शित करते थे। उन्हें लगता था कि एक लोकप्रिय कार्टून जनता के साथ उनके संपर्क को दर्शाता है। आहत किए बिना निंदा करना, चेहरे के मूल भाव का बिगाड़े बिना हास्य चित्र बनाने की योग्यता और लम्बे चौड़े सम्पादकीय में जो बात नहीं कही जा सकती उसे ब्रश के माध्यम से व्यक्त करना कार्टूनिस्ट की अद्भुत कला है। कार्टूनिस्ट हमारे सार्वजनिक जीवन का दर्पण हमारे सामने रख देता है और एक राष्ट्र के तौर पर हमें खुद को देखने की क्षमता प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कार्टून जनता को यह याद दिलाता है कि एक शासक भी वही भूल कर सकता है जो एक आम आदमी कर सकता है क्योंकि शासक भी तो एक मनुष्य है। कार्टूनिस्ट हमारे सार्वजनिक जीवन के प्रति दर्पण दिखाने का काम करता है ।
दिवंगत कुट्टी को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि केरल के एक निवासी के रूप में जो दिल्ली में रहे और बंगाली समाचार पत्रों के लिए कार्टून बनाया (हालांकि वे बंगाली नहीं बोल सकते थे), श्री कुट्टी एक उत्कृष्ट कोटि के भारतीय थे। उनका जीवन और उनके कार्य भाषा या राज्य की सीमाओं से परे हैं। राष्ट्रपति ने भारत के कार्टूनिस्टों से अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करके श्री कुट्टी की याद को जीवित बनाये रखने का आह्वान किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति को कार्टूनों के संग्रह वाली एक पुस्तक 'कार्टून प्रणाम' प्रस्तुत की गई। उन्होंने
कार्टूनों और व्यंग्य चित्रों की प्रदर्शनी का भी आनंद उठाया।
केन्द्रीय
प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री श्री व्यालार रवि, केरल के मुख्यमंत्री श्री ओमान चांडी और
देश के जाने-माने कार्टूनिस्टों ने इस समारोह में भाग लिया