Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

धर्म को माना, लेकिन जाना नहीं:आरिफ बेग

एमसीयू में ‘ईद और राष्ट्रीय सद्भाभावना’ विषय पर व्याख्यान

भोपाल,25 अगस्त।  पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग का कहना है कि हमने अपने ईश्वर, पैगंबर और भगवान को माना है लेकिन उनकी नहीं मानी है,इसलिए समाज में इतनी समस्याएं पैदा हो रही हैं। वे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग के साप्ताहिक आयोजन सार्थक शनिवार में ईद और राष्ट्रीय सद्भाभावना  विषय पर बोल रहे थे। श्री बेग ने कहा कि दुनिया के सभी धर्म प्रेम और भाईचारे में बंधे हुए हैं लेकिन उसके मानने वाले उस धर्म को ठीक से नहीं समझते हैं और उसके अनुसार आचरण नहीं करते इसलिए समस्या पैदा होती है ,क्योंकि जो भी अपने धर्म की शिक्षाएं सही तरीके से आत्मसात करता है वह कभी भी गलत रास्तों पर नहीं चल सकता।

उन्होंने कहा कि एक-दूसरे न जानने के नाते समस्याएं पैदा होती हैं। उनका कहना था कि राष्ट्रप्रेम से बड़ी कोई चीज नहीं है और हम सभी एक ही परिवार के हिस्से हैं। उनका कहना था कि आजादी के बाद हमने शहीदों का रास्ता नहीं पकड़ा इसलिए आज हम तमाम संकटों और तनावों से घिरे हैं।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि हमें अपनी एकता और सद्भभावना के फिर से पारिभाषित करने की जरूरत है। क्योंकि सब कुछ सब पर निर्भर है इसलिए हममें आपसी जुड़ाव जरूरी है। किसी के भी गलत करने का असर पूरी मानवता पर होता है। मैं नहीं हम का विचार इसमें हमारा सहायक बन सकता है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अशफाक मिशहदी ने कहा कि खुशी पाने और देने का सही तरीकों का नाम धर्म है। हम धर्म की दी गयी शिक्षाओं को नहीं अपनाते, सिर्फ धार्मिक होने का आवरण ओढ़ते हैं। सच्चाई यह है कि अपने धर्म को जान लेने वाला कभी गलत आचरण नहीं कर सकता।

कार्यक्रम के पूर्व में विद्यार्थी ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमें एकता और सद्भाव को प्रकट करने वाले विचार थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डा. माजिद हुसैन, विजय क्रांति, डा. श्रीकांत सिंह, पुष्पेंद्रपाल सिहं, प्रो. आशीष जोशी,डा. आरती सारंग, अभिजीत वाजपेयी, डा. पी. शशिकला सहित विवि के अध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डा. राखी तिवारी ने किया।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना