सीड की रिपोर्ट के अनुसार जाड़े के मौसम में प्रदूषित कण जनित वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर रहा
पटना/ पर्यावरण व ऊर्जा विकास के क्षेत्र में काम करनेवाली संस्था सेंटर फाॅर एन्वाॅयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘एबिंयट एयर क्वालिटी फाॅर पटना’ के अनुसार बीते जाड़े के मौसम में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पाया गया। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2016-17 के दौरान जाड़े के चार महीनों के मौसम में ऐसा कोई इकलौता दिन नहीं रहा, जब वायु की गुणवत्ता की केटेगरी ‘अच्छे से संतोषजनक’ रही हो, बल्कि 56 प्रतिशत दिनों में यह ‘बहुत खराब’ के वर्ग में देखी गयी, वहीं 17 प्रतिशत दिन यह ‘गंभीर’ दर्जे की मानी गयी, और बाकी 27 प्रतिशत दिवसों में यह ‘साधारण से खराब’ दर्जे में कायम रही। किसी दिन के 24 घंटों में प्रदूषित कण यानी पर्टिकुलेट मैटर (PM2.5) के औसत संकेंद्रण में उच्चतम स्तर को 5 नवंबर के दिन खतरनाक स्तर पर पाया गया, जब यह 542 μg/m3 रही। यह राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक की तय सीमा 60 μg/m3 से बहुत ज्यादा रही यानी करीब नौ गुना अधिक। यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि पर्टिकुलेट मैटर के माहवार माध्य संके्रद्रण को नवबंर ;253 μg/m3 के बाद दिसंबर माह में सर्वाधिक ;263 μg/m3 रिकार्ड किया गया।
पटना में निरंतर बढ़ते वायु प्रदूषण के बारे में बताते हुए सीड की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने कहा कि ‘शहर में वायु की गुणवत्ता सांस लेने योग्य नहीं है और इससे लोगों का दम घुट रहा है खासकर कमजोर लोगों जैसे बच्चे, बूढ़ों के लिए, जिससे जन स्वास्थ्य का बड़ा भीषण संकट पैदा हो गया है। चूंकि यह संकट की घड़ी है, ऐसे में हमें इस स्थिति पर आंख मूंद कर बैठे नहीं रहना चाहिए।’
रिपोर्ट के निष्कर्ष पटना के सिर्फ रियल टाइम एयर क्वालिटी स्टेशन, जो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जवाहरलाल नेहरू तारामंडल में स्थापित है, से गत नवंबर 2016 से फरवरी 2017 के जाड़े के मौसम के दौरान प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। यह रिपोर्ट पटना में वायु प्रदूषण के वर्तमान स्तर की पड़ताल भर नहीं है, बल्कि यह वायु प्रदूषण से मानवों पर पड़ते दुष्प्रभावों को भी परलक्षित करती है। यही नहीं यह रिपोर्ट दुनिया के दो सबसे प्रदूषित महानगरों-पटना और दिल्ली में स्वच्छ वायु गुणवत्ता की तुलनात्मक तस्वीर भी पेश करती है। इस अवधि में प्रदूषिक कणों के माहवार माध्य संकेंद्रण की गणना को पटना में दिल्ली के मुकाबले ज्यादा पाया गया, केवल नवंबर माह को छोड़ कर जब यह दिल्ली में अधिक रही।
रिपोर्ट के नतीजों के बारे में और विस्तार से बताते हुए सुश्री ज्योति ने कहा कि ‘मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हमें प्राथमिकता के आधार पर प्रदूषण स्तर को कम करने पर तत्काल कदम उठाना चाहिए। राज्य सरकार को एक सकारात्मक क्लीन एयर एक्शन प्लान पर फौरन अमल करने की जरूरत है, ताकि शहर में खतरनाक ढंग से बढ़ते वायु प्रदूषण को रोका जा सके, और इसमें सुधार के लिए कई कदम उठाने पड़ेंगे। इसके अलावा यातायात व वाहनों से उत्सर्जन पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आखिर में सरकार द्वारा सख्त प्रबंधन और व्यक्तिगत जवाबदेही को मजबूती देने से पटना में हवा को सुरक्षित व सेहतमंद स्तर पर बनाये रखने में मदद मिलेगी।’