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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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बचा सको तो थोड़ी सी उम्मीद बचा लो ...

खगड़िया जिला प्रगतिशील लेखक संघ का चौथा सम्मेलन
साहित्यकारों को चादर से नही शब्दों से सम्मान देना चाहिए..
खगडि़या। जिला प्रगतिशील लेखक संघ खगड़िया का चौथा सम्मेलन सह ‘गाँधी विमर्श की एक झलक’ पुस्तक का लोकार्पण व कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन जननायक कर्पूरी ठाकुर इन्टर विधालय, खगडि़या के सभागार में रविवार को सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के  मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार नचिकेता एवं मुख्य अतिथि राजेन्द्र राजन थे एवं मंच संचालक अरविन्द श्रीवास्तव।
खगडि़या जिला प्रलेस के अध्यक्षक विश्वनाथ ने आगत अतिथियों का स्वागत एवं अभिवादन किया उन्होंने कहा कि प्रलेस लेखकों की सबसे बड़ी जीत यह है कि उनके आदर्श पुरूषों की जयंतियों  और उसपर परिचर्चा अब यथास्थितिवादी व प्रतिक्रियावादी भी करने लगे हैं। सचिव विभूति नारायण सिंह ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि खगडि़या जिला प्रलेस की स्थापना 2004 में हुई तब से यह इकाई अपने कार्यकलापों से अनवरत आगे बढ़ रही हैं। तथा 2016 के अगले राज्य सम्मेलन के लिए हम खुद को तैयार भी कर रहे हैं।
प्रलेस की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बिहार प्रलेस के महासचिव राजेन्द्र राजन ने कहा कि साम्राज्यवाद के खिलाफ देश में स्वाधीनता के दीवाने ने गोली खाई, प्रलेस ने साहित्य व समाज को दिशा दी है, हमें सिर्फ अतीत का गुणगान नहीं करना है बल्कि भविष्य को और अधिक बेहतर बनाने के लिए संघर्षरत रहना है। लेखकों को राज दरबार से बाहर निकलकर बाहर जन संघर्षों से जुड़ना होगा। आज का शत्रु अदृश्य शक्ति है, आज साम्राज्यवादी बाजारवाद और पूंजी के माध्यम से हमें गुलाम बना रहे हैं। हिन्दुस्तान में हिन्दी विधवा विलाप कर रही है। हिन्दी सरकारी पैसे से जोहन्सबर्ग जा रही है... फाइव स्टार में बैठकर आप सही रचना नहीं दे सकते हैं। नागार्जुन ने कहा था कि कोई पुरस्कार मिल रही है तो मेरी आत्मा मुझे धिक्कारने लगती है। रामविलास शर्मा ने सभी पुरस्कारों को ठुकरा दिया था। नागार्जुन का मानना था कि यदि किसी व्यक्ति को मारना है तो उसकी प्रशंसा करो। कबीर आज भी प्रासंगिक हैं। साहित्यकारों को चादर से नही शब्दों से सम्मान देना चाहिए.. उन्होंने खगडि़या प्रलेस द्वारा प्रकाशित ‘अवाम’ पत्रिका का अगला अंक वरिष्ठ आलोचक खगेन्द्र ठाकुर की 75 वी वर्ष पर केन्द्रित करने की घोषणा की। पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह ने कहा कि भूमंडलीयकरण के इस दौर में प्रलेस के सामने कई चुनौती है।
समारोह के दूसरे सत्र में डा. लखन शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘गाँधी विमर्श की एक झलक’ का लोकार्पण आलोचक व गीतकार नचिकेता ने किया तथा भागलपुर से आये डा. विजय कुमार, चन्द्रशेखरम्, डा. कपिलदेव महतो आदि पुस्तक की प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
समारोह का एक और महत्वपूर्ण सत्र कवि सम्मेलन का था मुख्य आकर्षण जनगीतकार नचिकेता की उपस्थिति में कवियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। कवि घनश्याम ने ‘सबकुछ गवां चुकी है चिडि़या.. से कविता का आग़ाज किया। सुरेन्द्र विवेका ने अफवाहों का बाजार गर्म है.. शीर्षक कविता का पाठ किया। कवियों में विश्वनाथ, लषण शर्मा, वासुदेव सरस, रविन्द्र कुमार, विभूति ना. सिंह आदि ने काव्य पाठ किया, मुख्य अतिथि कवि नचिकेता ने कुछ प्रेमगीत से शुभारंभ किया उनके गीव व कविता की कुछ बानगी - आप नहीं चाहेंगे तो भी मौसम बदलेगा, क्षमा करें..! आप नहीं चाहेंगे फिर भी पत्तों में हरियाली होगी../ फूल बचा लो गंध बचा लो दुनिया नहीं बदलेगी/ बचा सको तो थोड़ी सी उम्मीद बचा लो / बचा सको तो थोड़ी सी मुस्कान बचा लो/ रंगों की गायब होती पहचान बचा लो / बचा सको तो हक इज्जत संघर्ष बचा लो / जीने का मकसद. सच्चा आदर्श बचा लो/ कविता की लय-छन्द बचा लो... दुनिया नष्ट नहीं होगी !
कवि सम्मेलन सत्र का संचालन मधेपुरा से आये कवि अरविन्द श्रीवास्तव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्वनाथ ने किया।

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सम्पादक

डॉ. लीना